Quantcast
Channel: जानकीपुल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

मनीषा पांडे की नई कविताएं

$
0
0
समकालीन हिंदी कविता पर समसामयिकता का दबाव इतन अधिक हो गया है, विराट का बोझ इतना बढ़ गया है कि उसमें निजता का स्पेस विरल होता गया है. मनीषा पांडेकी इस नई कविता श्रृंखला को पढ़ते हुए लगा कि और कहीं हो न हो कविता में इस उष्मा को बचाए रखना चाहिए. नाउम्मीद होते समय में उम्मीद की कविताएं- मॉडरेटर 
====================================
  
रूठना-मनाना


1.
लड़की सोचती है कभी-कभी
अगर मैं सचमुच रूठ गई तुमसे किसी दिन
तो क्या तुम सचमुच मुझे मनाओगे।

2.
जिंदगी के छोटे-छोटे झगड़े
जो रूठने और मनाने के
मनुहार करने और मान जाने के
निश्छल खेल हो सकते थे
उदासियों के बोझ में बदल गए
उदासियां दुख बन गईं
दुख पहाड़
लड़की रूठने से पहले उदास हो गई
उदास लड़की मनाए जाने से पहले
पत्थर

3. 
लड़की उम्मीदों में
रोज रूठा करती
अपने प्रेमी से
कनखियों से देखती, मन-ही-मन मुस्कुराती
कि अब आएगा
मुझे मनाने
गोद में लिटा लेगा
दुलार से भर-भरकर उठा लेगा दोनों हाथों में
चूमेगा
प्रेमी की तरह नहीं
बच्चेी की तरह
गीला, लडि़याया चुंबन
लड़की कनखियों से निहारेगी
कंधों पर लटक जाएगी
ऐसे नहीं, पहले बीस पप्पी दो
दस इस गाल पर, दस उस गाल पर
और वो पच्चीस देगा और फिर भी नहीं रुकेगा
लड़की रूठने का नाटक करेगी
लड़का कान पकड़ेगा
उसे कंधों पर उठाकर पूरे घर के चक्कर लगाएगा
बोका-बोका कहकर चिढ़ाएगा
किचन के प्लेटफॉर्म पर उसे बिठाकर
अदरख वाली चाय बनाएगा
चाय का पानी चढ़ाएगा और उसे चूमेगा
चायपत्ती डालेगा और फिर चूमेगा
थोड़ी सी कड़वी अदरख चखा देगा और फिर चूमेगा
चीनी के चार दाने अपने, चार उसके मुं‍ह में डालेगा, फिर चूमेगा
चलता रहेगा यह खेल
जब तक चाय उबलकर गैस पर न गिर जाए
कि जब तक रूठी हुई लड़की मान न जाए
जब चाय गिर जाएगी लड़की भी मान जाएगी
रूठना तो खेल था
बीस पप्पियों वाला खेल
चाय के उबल जाने का खेल
प्यार वाला खेल
रूठना तो खेल है
उदास हो जाना मृत्यु
लड़की जो करती है इतना सारा प्यार उसे
कैसे हो सकती है उदास
इसलिए वह सिर्फ रूठ जाती है कभी-कभी
और लड़का मुहब्बत से मनाता है

4. 
रात चली जाती है
उम्मीद बची रहती है
कल रात फिर रूठी नहीं थी लड़की
वह उदास थी
जब रूठी थी पहली बार
किसी ने नहीं मनाया
रूठी हुई लड़की
धूल बन गई
धूल अदृश्य थी चादर की सलवटों में छिपी हुई
मेज के पाए के नीचे दबी हुई
दिखाई नहीं देती किसी को

5.

मनाए जाने से पहले उदास हो गई
रूठी हुई लड़कियां
मृत्यु के मुहाने पर खड़ी
बिता देती हैं पूरी उम्र

6.

बचपन में लड़की
अकसर रूठ जाती थी
बाथरूम में छिप जाती
पूरा घर मनाता
रूठी हुई लड़की को
मां छाती से लगाकर दुलराती
पिता गोदी में उठाकर घुमाने ले जाते
बर्फ का गोला खिलाते
बर्फ के गोले से मान जाती थी लड़की
पूरे बचपन ऐसे ही रूठती रही
रूठना इसीलिए था
क्योंकि मनाना था
उसे यकीन था
कि कोई मनाने आएगा जरूर

7.

लड़की ने अब रूठना छोड़ दिया है
बहुत साल हुए
कोई मीठी शिकायत नहीं है उसके पास
बताओ कौन-सी उंगली
खुले बाल या गुंथी हुई चोटी
उधर क्या देख रहे हो, इधर देखो मेरी आंखों में
मेरा मन अच्छा नहीं
चूमो मुझे ढेर सारा भर-भरकर बांहों में
कितने बरस गुजरे मेरे तलवों को चूमा नहीं
उस पूरी रात तुम्हारे सीने से लगकर सोना था मुझे
वो सात तालों वाले शहर में
पानी में पैर डालकर बैठना था साथ-साथ
उस मच्छंर को सौ लानतें भेजनी थी जो आ बैठा था तुम्हारी पेशानी पर
जिस स्टेपलर की पिन के चुभने से
उंगलियों में खून निकल आया तुम्हारी
वह स्टेपलर भी दुश्मन ठहरा मेरा
तुम कहो तो तुम्हारे लिए
खड़ी रहूं बर्फीली नदी में पूरी रात
दिसंबर के महीने में
मैं जो चल नहीं पाती चार कदम ठीक से
दौड़कर लांघ जाऊं पूरा पहाड़
मैं जो डूबकर मर जाए मुहल्ले के पोखर में भी
तैरकर पार कर लूं पूरा समंदर
अगर उस पार मिलो तुम
और एक तुम हो
कि घाट की चार सीढि़यां नहीं चढ़ सकते मेरे लिए

8.

लड़की अब न रूठती है, न कुछ मांगती है
बस जीती है डर में
डर है कहीं रूठ गई तो
यकीन है कोई मनाएगा नहीं
वह शिकायत भी नहीं करती
किसी बात पर नहीं लड़ती
बचपन की रूठी हुई लड़की
उदास औरत में बदल रही है
उदास औरत दुख में
दुख आंसू में
आंसू पहाड़ हो रहे हैं
लड़की पत्थर

9.

वह छूता है
उदास औरत को सब जगह
सिवा उसकी उदासी के

10.
जो लड़कियां जिंदगी में कभी रूठी नहीं
मनाई नहीं गईं
किन किताबों में, किन ग्रंथों में दर्ज हैं

उनकी कहानियां

Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>