हिंदी में ईबुक क्रांति आने वाली है?
विश्वपुस्तक मेले में हिंदी प्रकाशकों के हॉल में सबसे अधिक चर्चा थी ईबुक की. इस चर्चा के दो कारण थे. एक तो ईबुक के सबसे बड़े प्लेटफोर्म न्यूजहंट की मौजूदगी के कारण, जिनके मोबाइल ऐप के कारण अपने फोन में...
View Articleप्रेम खाप के लिए है अभिशाप तो व्यक्ति के लिए अमर फल!
ऐसा नहीं है कि 2015 के पुस्तक मेले में मुझे सिर्फ रवीश कुमार का 'इश्क में शहर होना'ही पसंद आया. दूसरी किताब जिसके ऊपर मन रीझ गया वह है 'बेदाद-ए-इश्क रुदाद-ए-शादी'. प्रेम विवाह करने वालों की इस अनुभव...
View Articleबनारस टॉकिज : पुरानी बोतल में नयी शराब
अंग्रेजी में पिछले साल कैम्पस नॉवेल ट्रेंड करता रहा. चेतन भगत का उपन्यास 'हाफ गर्लफ्रेंड', रविंदर सिंह का उपन्यास 'योर ड्रीम्स आर माइन नाऊ'दोनों कैम्पस उपन्यास थे. सत्य व्यास का उपन्यास हिंदी युग्म से...
View Articleअमेजन क्रांति के दौर में हिदी किताबें और पाठक
परसों बिहार के कटिहार से संजय जी का फोन आया था. फोन उठाते ही उन्होंने कहा कि वे करीब एक साल से जानकी पुल समय मिलने पर जरूर पढ़ते हैं. छौ ईंच स्क्रीन वाला मोबाइल फोन ले लिए हैं.‘ई लप्रेक क्या है?’...
View Articleक्या हिंदी प्रकाशन जगत में नए दौर की शुरुआत हो गई है?
कल की दोपहर बड़ी ख़ास थी. वसंत की दोपहरें आम तौर पर उदास करने वाली होती हैं. धूप की गर्मी, हवाओं की चोट, गिरते पत्तों का शोर. लेकिन इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर की वह दोपहर ख़ास थी. 28 फरवरी का दिन हिंदी के...
View Articleभालचंद्र नेमाड़े को सुनते हुए 'नाकोहस'कहानी की याद
परसों की ही तो बात है. राजकमल प्रकाशन का स्थापना दिवस समारोह था, उसमें भालचंद्र नेमाड़े को हिंदी में भारतीय संस्कृति की बहुवचनीयता पर बोलते हुए सुना तो मुझे पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’ याद आई....
View Articleक्या हिन्दी में भी कोई ‘चेतन भगत’ आ सकता है?
हाल में ही हिंदी में कुछ किताबें आई तो यह चर्चा शुरू हो गई कि हिंदी में चेतन भगत आने वाला है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. युवा लेखक अनिमेषमुखर्जी ने चेतन भगत के बहाने समकालीन अंग्रेजी लोकप्रिय साहित्य...
View Articleभारतीय लोकतंत्र में सुप्रीमो
आम आदमी पार्टी के अंदरूनी विवाद पर आज अविजित शर्माका लेख. अविजित आईआईटी दिल्ली के ग्रेजुएट हैं. आम आदमी पार्टी के स्वयंसेवी रहे हैं. यह संकट देश की वैकल्पिक राजनीति का एक बड़ा संकट है जो उसके भविष्य के...
View Articleएक बड़े आदर्श का यथार्थवादी अंत?
देश जिसे अपने आदर्श की तरह अपनाने के लिए तैयार था वह तो कमबख्त हिंदी कहानियों के उस यथार्थ की तरह निकला जिसमें पचास साल से कुछ नहीं बदला. जो लोग राजनीति बदलने निकले थे राजनीति ने उनको बदल दिया. असल में...
View Articleउमाशंकर चौधरी की कविताएं
उमा शंकर चैधरी की कविताएंः-उमाशंकर चौधरीकी कविताओं का अपना स्वर है जो समकालीन कविता में उनको सबसे अलग बनाता है- उनकी कविताओं का राजनीतिक मुहावरा नितांत मौलिक है- उनका नया कविता संग्रह आया है भारतीय...
View Article'लखनऊ बॉय'विनोद मेहता का स्मरण
विनोद मेहताका जाना पत्रकारिता के एक मजबूत स्तम्भ का ढह जाना है. उस स्तम्भ का जिसके लिए पत्रकारिता एक मूल्य था, सामाजिक जिम्मेदारी थी. उनकी आत्मकथात्मक पुस्तक'लखनऊ बॉय'के बहाने उनकी पत्रकारिता का बेहतर...
View Articleमनीषा पांडे की नई कविताएं
समकालीन हिंदी कविता पर समसामयिकता का दबाव इतन अधिक हो गया है, विराट का बोझ इतना बढ़ गया है कि उसमें निजता का स्पेस विरल होता गया है. मनीषा पांडेकी इस नई कविता श्रृंखला को पढ़ते हुए लगा कि और कहीं हो न हो...
View Articleआप याद आएंगे आलोक जैन!
शहरयार को अमिताभ बच्चन के साथ ज्ञानपीठ पुरस्कार देते आलोक जैनश्री आलोक प्रकाश जैन का जाना हिंदी सेवी व्यापारियों की उस आखिरी कड़ी का टूट जाना है जिसने हिंदी के उत्थान के लिए, उसकी बेहतर संभावनाओं के...
View Articleहास्य रस और विश्व सिनेमा
प्रचण्ड प्रवीर बहुत दिनों से रस सिद्धांत के आधार पर विश्व सिनेमा का अध्ययन कर रहे हैं. इस बार हास्य रस के आधार पर उन्होंने विश्व सिनेमा पर एक दिलचस्प लेख लिखा है- मॉडरेटर...
View Articleप्रियंका दुबे की कहानी ‘माय लेफ्ट फुट’
प्रियंका दुबेकी पत्रकारिता से हम सब परिचित हैं. यहाँ आज आपके लिए उनकी एक छोटी सी कहानी, जिसके बारे में लेखिका का कहना है कि यह 'शार्ट स्टोरी और स्टोरी के बीच का है कुछ शायद'. बहरहाल, यह एक मार्मिक...
View Article‘हमारे प्यार से इस शहर को कभी जुदा मत करना’
मेरे जानते यह रवीश कुमारकी लिखी किताब 'इश्क में शहर होना'की सबसे अच्छी समीक्षा है. जब कोई विद्वान् किसी कृति को देखता है तो उसका पाठ उसे कलाकृति में बदल देता है. शिक्षाविद मनोज कुमारने यही किया है....
View Articleआप याद आएंगे आलोक जैन!
शहरयार को अमिताभ बच्चन के साथ ज्ञानपीठ पुरस्कार देते आलोक जैनश्री आलोक प्रकाश जैन का जाना हिंदी सेवी व्यापारियों की उस आखिरी कड़ी का टूट जाना है जिसने हिंदी के उत्थान के लिए, उसकी बेहतर संभावनाओं के...
View Articleहास्य रस और विश्व सिनेमा
प्रचण्ड प्रवीर बहुत दिनों से रस सिद्धांत के आधार पर विश्व सिनेमा का अध्ययन कर रहे हैं. इस बार हास्य रस के आधार पर उन्होंने विश्व सिनेमा पर एक दिलचस्प लेख लिखा है- मॉडरेटर...
View Articleरश्मि भारद्वाज की कुछ कविताएं
आज कुछ कविताएं रश्मि भारद्वाजकी. रश्मि की कविताओं में एक छोटे शहर की स्त्री का मन बार बार झांकता है. वहां से सपनों, आकांक्षाओं, मुहावरों, बोली-ठोली के बीच मुक्तिकामी स्त्री का मन. उनकी कई कविताओं में...
View Articleवक्त लिखता रहा चेहरे पर हर पल का हिसाब
लेखिका अनु सिंह चौधरीकी की दूसरी किताब 'मम्मा की डायरी'हिंदी में अपने ढंग की पहली किताब है. रिश्तों को, जीवन को, समकालीन जद्दोजहद को समझने के लिहाज से एक मुकम्मल किताब. हिन्दयुग्म प्रकाशन से शीघ्र...
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