क्रांति और भ्रांति के बीच 'लप्रेक'
लप्रेक के आने की सुगबुगाहट जब से शुरू हुई है हिंदी में परंपरा-परम्परा की फुसफुसाहट शुरू हो गई है. कल वरिष्ठ लेखक भगवानदास मोरवाल ने लप्रेक को लेकर सवाल उठाये थे. आज युवा लेखक-प्राध्यापक नवीन रमण मजबूती...
View Articleहर पिछला कदम अगले कदम से खौफ खाता है
‘लप्रेक’को लेकर हिंदी में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं देखने में आ रही हैं उससे मुझे सीतामढ़ी के सबसे बड़े स्थानीय कवि पूर्णेंदु जी की काव्य पंक्तियाँ याद आती हैं- ‘कि हर पिछला कदम अगले कदम से खौफ खाता है.’...
View Articleकामयाबी से गुमनामी तक का सफरनामा
सत्तर के दशक के में हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार माने जाने वाले राजेश खन्ना का आरंभिक सिनेमाई जीवन एक खुली किताब की तरह सार्वजनिक है तो बाद का जीवन रहस्यमयी है, किसी ट्रेजिक हीरो की तरह कारुणिक....
View Articleलक्ष्मण बुनियादी तौर पर ‘कॉमन सेंस’ के कार्टूनिस्ट थे
आर. के. लक्ष्मणको श्रद्धांजलि देते हुए मेरे प्रिय कार्टूनिस्ट राजेंद्र धोड़पकरने उनकी कला का बहुत अच्छा विश्लेषण किया है. आज 'दैनिक हिन्दुस्तान'में उनका यह लेख प्रकाशित हुआ है. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन...
View Articleभोजपुरी फिल्मों का सफरनामा एक किताब में
भोजपुरी सिनेमा के ऊपर एक किताब आई है जिसके लेखक है रविराज पटेल. रविराज पटेल से एक बातचीत की है सैयद एस. तौहीदने- मॉडरेटर ================================भोजपुरी फिल्मों का इतिहास यूं तो पचास बरसों से...
View Articleशैलजा पाठक की कविताएं
आज शैलजा पाठककी कविताएं. शैलजा पाठक की कविताओं में विस्थापन की अन्तर्निहित पीड़ा है. छूटे हुए गाँव, सिवान, अपने-पराये, बोली-ठोली. एक ख़ास तरह की करुणा. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर...
View Articleरंगीन शीशे से दुनिया को देखना
आज 'दैनिक हिन्दुस्तान'में महान कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण की आत्मकथा 'द टनेल ऑफ़ टाइम'का एक अंश प्रकाशित हुआ है. अनुवाद मैंने ही किया है- प्रभात रंजन =======================================और इस तरह...
View Articleबाल साहित्य और शिक्षा की किताबों की चर्चा क्यों नहीं होती?
हिंदी में साल भर की किताबों का जो लेखा जोखा प्रकाशित होता है उनमें बाल साहित्य तथा शिक्षा से सम्बंधित पुस्तकों की चर्चा न के बराबर होती है. शिक्षाविद कौशलेन्द्र प्रपन्नने एक बढ़िया आकलन करने की कोशिश की...
View Articleसिंहासन खाली करो कि जनता आती है
रामधारी सिंह 'दिनकर'की यह कविता मुझे तब तब जरूर याद आती है जब विप्लव की आहट सुनाई देती है. कितना विरोधाभास है कि दिनकर जी जीवन के आखिरी कुछ वर्षों को छोड़ दें तो आजीवन कांग्रेस की सत्ता के करीब बने रहे,...
View Articleक्या यह हिंदी प्रकाशन जगत में 'ब्रांड वार'की शुरुआत है?
इस बार विश्व पुस्तक मेले की शुरुआत वेलेन्टाइन डे के दिन हो रही है और हिंदी के दो बड़े प्रकाशकों में इश्क को लेकर ‘ब्रांड वार’ की शुरुआत हो गई है. पहली किताब है राजकमल प्रकाशन के नए इंप्रिंट ‘सार्थक’ से...
View Articleतुलसी राम की मणिकर्णिका का एक यादगार अंश
आज तुलसी रामजी का निधन हो गया. वे हिंदी के उन महान लेखकों में थे जिन्होंने आत्मकथा की विधा को उसके शिखर पर पहुंचा दिया. इसे मेरी कमअक्ली समझी जाए तब भी मैं यह कहने से नहीं हिचकूंगा कि उनकी आत्मकथा...
View Article'रॉय'ने मेरे भीतर के ज्ञान-चक्षु खोल दिए हैं!
फिल्म 'रॉय'की आपने कई समीक्षाएं पढ़ी होंगी. यह समीक्षा लिखी है हिंदी की जानी-मानी लेखिका अनु सिंह चौधरी ने. जरूर पढ़िए. इस फिल्म को देखने के लिए नहीं, क्यों नहीं देखना चाहिए यह जानने के लिए-...
View Articleहृषीकेश सुलभ आज साठ साल के हुए!
आज हृषीकेश सुलभ60 साल के हो गए. जब हम साहित्य की दुनिया में शैशवकाल में थे तब तब पत्र-पत्रिकाओं में लेखकों की षष्ठी पूर्ति मनाई जाती थी. हिंदी साहित्यकारों का तब एक परिवार जैसा था. अब भारतीय समाज की...
View Articleकलीम आजिज़ की स्मृति में उनकी कुछ ग़ज़लें
आज 'दैनिक हिन्दुस्तान'में पढ़ा कि मीर की परम्परा के आखिर बड़े शायर कलीम आजिज़का निधन हो गया. वे 95 साल के थे. इमरजेंसी के दौरान कहते हैं उन्होंने श्रीमती गाँधी के ऊपर एक शेर लिखा था- रखना है कहीं पाँव तो...
View Articleरंगभेद नहीं ये किरकेटवाद है!
क्रिकेट विश्व कप में इण्डिया ने पाकिस्तान को क्या हराया बहुतों ने मान लिया कि इण्डिया ने विश्व कप जीत लिया. सबको अपने अपने क्रिकेट दिन याद आने लगे. युवा लेखक क्षितिज रायने अपने क्रिकेट इतिहास की...
View Articleक्या 'नरक मसीहा'साल का सबसे प्रासंगिक उपन्यास है?
हिंदी में यह अच्छी बात है कि आज भी किसी लेखक का कद, पद, प्रचार प्रसार किसी पुस्तक की व्याप्ति में किसी काम नहीं आता. अब देखिये न पिछले साल काशीनाथ सिंह का उपन्यास आया, अखिलेश का उपन्यास आया, मैत्रेयी...
View Articleअमृत रंजन की नई कविताएं
अमृत रंजनकी कविताएं तब से पढ़ रहा हूँ जब वह कक्षा 6 में था. अब वह कक्षा 7 में है. डीपीएस पुणे के इस प्रतिभाशाली की कविताएं इस बार लम्बे अंतराल के बाद जानकी पुल पर आ रही हैं. इससे पहले आखिरी बार हमने इसे...
View Articleप्रियदर्शन की कहानी 'बारिश, धुआँ और दोस्त'
बरसों बाद प्रियदर्शनका दूसरा कहानी संग्रह आया है 'बारिश, धुआँ और दोस्त'. कल उसका लोकार्पण था. उस संग्रह की शीर्षक कहानी. तेज भागती जिंदगी में छोटे छोटे रिश्तों की अहमियत की यह कहानी मन में कहीं ठहर...
View Articleक्या शादी प्रेम की ट्रॉफी होती है?
आज विश्व पुस्तक मेला का अंतिम दिन है. इस बार बड़ी अजीब बात है कि हिंदी का बाजार बढ़ रहा है दूसरी तरफ बड़ी अजीब बात यह लगी कि इस बार किताबों को लेकर प्रयोग कम देखने में मिले. प्रयोग होते रहने चाहिए इससे...
View Articleविश्व पुस्तक में क्या रहे ट्रेंड?
इस बार पुस्तक मेले में चार दिन जाना हुआ. पहले सोचा था नहीं जाऊँगा. लेकिन एक बार जाइए तो बार-बार जाने का मन करता है. एक साथ इतने बड़े लेखकों से मुलाकात, बातें, बतकही- अच्छा लगने लगता है. आज लिख रहा हूँ...
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