Quantcast
Channel: जानकीपुल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

दुख उतना ही गहरा हुआ जितना गहरा था प्रेम!

$
0
0
कहने को मृत्यु को लेकर कुछ नोट्स हैं, लेकिन जिंदगी के राग से गहरे सराबोर. मनीषा पांडेके इस लेखन को कविता कहें, डायरी कहें, नोट्स कहें या सब कुछ. असल में हर विधा की छाया है और एक नई विधा का उत्स भी. कई बार मुझे पढ़ते हुए कहानी की तरह लगा सब कुछ. जाने किसने कहा है कि जिंदगी एक ऐसी कहानी है जिसमें मृत्यु एकमात्र सच्चाई है. एक अवश्य पठनीय गद्य- मॉडरेटर 
======
====== 

मृत्‍यु- कुछ नोट्स

उस रात वो मृत्‍यु से हाथ बस मिलाने ही वाली थी। देह की आखिरी उंगली की आखिरी नस तक दर्द से टूट रही थी। माथा तेज बुखार से तप रहा था। अंधेरे कमरे में कोई आवाज नहीं थी, सिवा उस पुराने पंखे की घरघराहट के। उसने रात तीन बजे समंदर पार उसे फोन लगाया। कहा, "लगता है मर ही जाऊंगी।"उधर से चीखती हुई आवाज आई, "तुम्‍हें मर ही जाना चाहिए"और फिर फोन के पटकने की आवाज। नसें दर्द से फटने लगीं।

फिर एक और फोन लगाया। समंदर पार। ऐसा कोई खास नेह का नाता नहीं था उससे। उल्‍टे कुछ दरारें ही थीं शायद। लेकिन रात तीन बजे वो आधे घंटे तक उससे बात करता रहा। कहता रहा, बात सिर्फ इतनी सी है कि उसकी याददाश्‍त चली गई है। वो भूल गई है कि वो कितनी कीमती है। फोन रखते हुए उसने सिर्फ इतना कहा कि तुम कल का सूरज उगते हुए देखोगी।

रात टल गई और मृत्‍यु भी। उसने अगले दिन का सूरज उगते हुए देखा।

फिर कभी बात नहीं हुई उससे। लेकिन दस साल पहले की उस एक रात के लिए और अपनी बाकी की जिंदगी के लिए वो ताउम्र उसकी शुक्रगुजार रही।

उस एक फोन ने मृत्‍यु को टाल दिया था।

==================
दुनिया में आना अपनी मर्जी से नहीं हुआ था। लेकिन हमेशा ये लगता रहा कि जाना तो अपनी मर्जी का ही होना चाहिए।
=============

सफर खत्‍म होने पर जैसे लौट जाते हैं लोग, जैसे वापसी का टिकट कटा लेते हैं अपनी मर्जी से, वैसे ही दुनिया से वापसी का टिकट क्‍यों नहीं मिल सकता अपनी मर्जी से। लौट जाने का हक तो सबको है, अपनी मर्जी से।
===============

वो लौट-लौटकर मृत्‍यु के दरवाजे तक जाती रही। कितनी बार मर जाने का ख्‍याल उसके तकिए पर सिर रखकर पूरी रात सोया और सुबह की कॉफी भी दोनों ने साथ पी। उसे अच्‍छा लगता था ऐसे मौत का हाथ पकड़कर साथ रहना। जिंदगी के सबसे बेशकीमती वाक्‍य उसने तभी लिखे, जब वह मृत्‍यु की गोद में सिर रखकर सोई।
======================

ये बार-बार उधर लौट जाना क्‍या था? इस तरह से दुख और आने वाली मृत्‍यु को इतने करीब से देखना, बल्कि मृत्‍यु का हाथ पकड़कर फिर वहां से जिंदगी को देखना। जैसे उड़ते हुए हवाई जहाज से अपने शहर को देखना। जैसे पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी से पेड़ों के समंदर को देखना। जैसे जिंदगी से बहुत दूर जाकर जिंदगी को देखना।
===============

मृत्‍यु का मोह कहीं उस मोह की तरह तो नहीं कि जिंदगी में जो अब तक मिला नहीं, उसी का मोह रहा हमेशा। प्रेम वही कीमती था, जो छूट गया। जान लेने के बाद क्‍या जादू। एक बार मर जाने के बाद भी मरने का मोह बचेगा क्‍या।
===================

मुझे हमेशा लगता रहा कि वैन गॉग के चित्रों में जिंदगी के इतने चटख रंग सिर्फ इ‍सलिए थे क्‍योंकि उन्‍हें मृत्‍यु के ब्रश से रचा गया था।
=================

मृत्‍यु का एहसास ऐसा ही होता होगा शायद, जैसा हर बार उसके जाने के बाद उसे लगता रहा। जैसे उसकी आत्‍मा का एक हिस्‍सा कोई काटकर ले जा रहा हो।
======================

जिस दिन वो पहली बार मिले थे, उस दिन खूब बारिश हुई थी। नीली साड़ी पहनी थी लड़की ने और लड़के ने नीली शर्ट। जिस तरह उन्‍हें जाना पड़ा एक-दूसरे की जिंदगी से, नीला रंग और बारिश, दोनों मृत्‍यु का प्रतीक हो गए। 
===============

दुख उतना ही गहरा हुआ जितना गहरा था प्रेम। उस प्रेम को जानने के बाद मृत्‍यु को जानने के लिए मरना नहीं पड़ा।
==============

अपनी जिंदगी अपने हाथों खत्‍म कर देने वालों से मुझे कभी कोई शिकवा नहीं रहा। मैं बस अंतिम सफर पर निकलने से पहले उस मन की तस्‍वीर देख लेना चाहती थी। ठीक-ठीक क्‍या महसूस हुआ था उस वक्‍त, जब ट्रेन बस जिंदगी का प्‍लेटफॉर्म छोड़ ही रही थी।
=============

एक शव को अपने कंधों पर उठाए श्‍मशान घाट की ओर जाती हुई भीड़ ही मृत्‍यु का प्रतीक नहीं होती। उस सुदूर पहाड़ी गांव के पास से दिन में सिर्फ तीन ट्रेनें गुजरती थीं। उस गांव के लिए तीनों ट्रेनों के गुजरने का शोर जीवन था और तीनों का गुजर जाना मृत्‍यु। वहां मौत रोज तीन बार आती थी।
===============

बाहर से देखने पर वो दुनिया का सबसे सफल और खुशहाल आदमी लगता था। लेकिन हर रात अपने बिस्‍तर पर सोते हुए वो अगली सुबह न उठने के बारे में सोचता। वो सालों तक सोने से पहले अपने बच्‍चों को ऐसे चूमता रहा, जैसे आखिरी बार चूम रहा हो।
================

लड़की जब-जब बेचैनी में उसका हाथ पकड़कर पूछती, "मन समझते हो न तुम"तो उसे मर जाने का सा एहसास होता।
=================

हर बार उस मेलबॉक्‍स को खोलना सिर्फ ये जानने के लिए कि उसकी भेजी चिट्ठियां पढ़ी तक नहीं गईं, मर जाने जैसा एहसास होता। लेकिन मरने के उस एहसास से इतना मोह हो गया कि मरने के लिए वो बार-बार उसे खोलती रही और मरती रही।
================

लड़की ने उसे सौ मेले भेजे। उनके सीक्रेट मेल पर। उस सीक्रेट मेल का पासवर्ड दोनों के पास था। वो रोज दिन में दस बार देखती कि मेल पढ़ी गई या नहीं। तीन महीने तक मेल्‍स ऐसे ही अनपढ़ी पड़ी रहीं। आखिरकार एक दिन उसने सबकुछ डिलिट कर दिया। उसके बाद भी मेल्‍स रिसाइकिल बिन में पड़ी रहीं। अनरेड का निशान दिखाती। काले बोल्‍ड अक्षरों में लिखा होता रिसाइकिल बिन के सामने 101। फिर एक दिन अचानक मेल खोला तो वो काले बोल्‍ड अक्षर नहीं दिखे। उसने खुशी और बेचैनी में सोचा शायद सब पढ़ ली गईं। वो कुछ सेकेंड जिंदगी के थे।

जिंदगी के कुछ सेकेंड बीत जाने की हड़बड़ी में थे। 

फिर उसने रिसाइकिल बिन खोला, लेकिन अब वहां कोई मेल नहीं थी।

रिसाइकिल बिन से सारी मेल एक महीने में खुद ब खुद डिलिट हो जाती थीं।
===============

वो कहता था, क्‍या जीते जी मृत्‍यु की एक फिल्‍म बनाना मुमकिन है। एक व्‍यक्ति अपनी मृत्‍युशय्या पर लेटा हुआ क्‍या महसूस कर रहा होगा। गुजरी जिंदगी के वे कौन-कौन से दृश्‍य होंगे, जो दुनिया से जाते हुए उसे याद आएंगे।

लड़की ने पूछा, "तुम्‍हारी मृत्‍यु की फिल्‍म में कौन-कौन से दृश्‍य होंगे।"

उसने कहा, "जब मैंने पहली बार तुम्‍हें प्‍यार किया था।"

संपर्क- manishafm@gmail.com

Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

Trending Articles


तुमको हमारी उमर लग जाए - Tumko Hamari Umar Lag Jaaye (Lata Mangeshkar, Ayee...


हिन्दी कैलेंडर तिथि ,वार ,अंग्रेजी तारीख सहित - Calendar जून,2015


हिन्दी कैलेंडर तिथि ,वार ,अंग्रेजी तारीख सहित - Calendar अक्टूबर,2015


हिन्दी कैलेंडर तिथि ,वार ,अंग्रेजी तारीख सहित - Calendar फरवरी ,2015


शायद मेरी शादी का ख्याल - Shayad Meri Shaadi Ka Khayal (Lata Mangeshkar,...


भारत के प्रमुख वाद्ययंत्र और उनके वादकों की सूची - List of Musical...


बिहार : मुखिया से विधान सभा तक पहुंचे हैं रफीगंज के विधायक मो. नेहालउद्दीन


Top 50 Hindi non veg jokes


झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास


विशेष : कश्मीर की आदि संत-कवयित्री ललद्यद