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तुम्हारी लिखी हमारी प्रेम कविता डिलीट हो गई

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  तकनीक, आभासी दुनिया ने हमारे संबंधों के संसार को बदल कर रख दिया है. प्रेम का एक नया संसार है. इन कविताओं में अभिव्यक्त अनुभव इसी नए संसार के माध्यम से है. यशस्विनी पांडेकी कविताएं जब मेल पर मिली तो सबसे पहले उन कविताओं के अनुभव संसार ने प्रभावित किया. एक गहरी भावाकुलता जो इन दिनों कविताओं से मिसिंग सा हो गया है. यह जरूर है कि ये कविताएं अपनी तरह की हैं, अनूठी हैं- मॉडरेटर 
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 1. 
     
     वे छह कविताएं

तुम्हारीलिखीहमारीप्रेमकविता 
डिलीटहोगयीकुछगैरजरुरी
मेलकेसाथ
याखोगयीकुछपर्चियों
केसाथ 
अनजानेमेंतुमसेभी
मुझसेभी
औरतुमनेपतझड़कीतरहझरतेहुए
बादलकीबड़ीबड़ीबूंदों
कोभरकरसीपसेनयनोमें
मुझसेसभीकामछोड़के
उसेढूंढनेकोकहा
ढूंढाउसेहरजगहमैंने
हरफ़ाइलमेंहरडायरीमें
पेनड्राइब्औरहार्डडिस्कमेंभी
कईहजारजीबीमेंगोतेलगाकर
परनहीमिली
मैंनेकोशिशकीसमझानेकी
तुम्हेकोईबातनही
हमफिरलिखेंगेप्रेमकीइबारत
तुमउससेभीअच्छीकविता
लिखसकतीहोतमामविषयोंपर
उम्दालेखकविताकहानीसबकुछ
लिखाहीहैतुमनेऔरलिखोगीभी
परतुमनेकहा 
मेरीसारीकविताएँ,लेख,कहानी
पैसेसम्मानपहचान
लेलोयाजिसेदेनाहैदेदो
प्रेममेंआकण्ठडूबीमुझे
लौटादोमेरी वे 6 कविताएँ

2
मिटटीऔरबादल...

देवताओंकीसबसेबड़ीजीतकाउत्सव
पृथ्वीसेदोशापितपरप्रेमीजनों
काबुलावा 
शंकरकीपिंडीबनीचाककीधुरी
सुदर्शनबनाचाक
ब्रह्माकीजनेऊ
बर्तनकाटनेकीडोरी
हमदोबनेकुम्हार
देवताओंनेयज्ञकिया 
ऋषियोंनेतप
अप्सराओंनेनृत्यऔरमुनियोंनेशास्त्रार्थ
उत्सवहुआतरहतरहकेपकवानबने
हमारेबनायेबर्तनोंमेंखायासबने
स्वादलियामिटटीमेंपकेसोंधेपकवानका
परस्वादतोहमारेसाथकाथा
देवताओंनेप्रसन्नहोकर 
धरतीपरजानेसेपहले
वरमांगनेकोकहा
मैंनेऔरतुमनेएकदूसरेकीओरदेखा
मिट्टीसेसनेप्रेमसेपुते
क्यामाँगाजाएस्वर्गतोयहीहै
साथमेंरचनाकरतेहुए
हमनेमाँगावरदान
हेप्रभु
पृथ्वीपरमनुष्यअबप्रेमनहीकरते
मिट्टीकीगन्धनहीजाती 
उनकीआत्मातक
मिट्टीकेबर्तनकेवलशुभकाम 
केलियेहोतेहैं
हमारासाथकामकरनाभीउन्हेंनहीसुहाता
हमजबजबमिलें
धरतीमहकजाये 
यौवनसेइतराउठे
बीजफूटपड़ें
पेड़नृत्यकरें
प्रेमीजनहमारीओरदेखें
औरप्रेमकरनेकोअधीरहोउठें
प्रभुमुस्कुरायेऔरकहेकी 
दुनियादेखसकेगीयेमिटटी
कुम्हारकाअद्भुतप्रेम 
देवताओंकोभीरासआया
औरबदलदियामुझेबादलमें
औरतुम्हेमिट्टीमें

3.
तुम्हेखोजतेखोजते
मैंयादकरतीहूँतुम्हेतबभी
जबहोतेहोतुमसामनेमेरे
चायकाप्यालापकड़तेहुए
मुस्कुराकरबाजूवाली
कुर्सीपरबैठके
मैंढूंढतीहूँतुम्हेतबभी
जबसामनेहोतेहोमेरे
अखबारकेपन्नेउलटतेहुए 
किसीखबरमेंगुम
माथेपरशिकन
चायठंढीकरतेहुए
मनहोताहैछीनलूँअखबारतुमसे
औरजोखबरपसन्दआये
तुम्हेउसकेहरपैंतरेबदलदूँ
याबदलदूँसारीखबरही
नएखबरोंकेसाथपढ़कर 
सुनाऊँअखबारतुम्हे
जिसमेमिथकहोंफंतासीबिम्बऔररोमांस
औरतुमदेखोएकटकमेरीतरफ
मेरेहरहावभावपिचसुरलयतानसुनतेहुए
अख़बारबदलजाये 
प्रेमकीविनयपत्रिकामें
तुमबदलजाओमेरेराममें
औरमैंतुलसीदासतुम्हेखोजतेखोजते

4.
सुनोएकआखिरीबातसुनलो;
फिररखनाफोन,
येजोचाँदहै;
दिखरहाहैजोतुम्हेभी
ठीकइसीवक़्त
तुम्हारेमहानगरीय
डब्बेकेटेरिससे
जिसमेदमघुंटताहैमेरा
औरमेरेबिनातुम्हारा
मुझेभीदिखरहाहै 
अपनीछतसेजोतुमसेहीछत
औरघरकहलाताहै
एकदमभभकताहुआसालाल 
छींटोंकाफव्वारा
वैज्ञानिकतोयेबतारहेहैंकी 
चाँदपृथ्वीपरिक्रमाकरतेहुए
बेहदकरीबगएहैं
इसलियेचाँदआकारमेंबड़ा
औरलालरंगमेंरंगादिखरहा
जबयेब्रम्हांडनापके 
इतनेकरीबगए 
फिरतुमइतनीदूरक्यों?
जानतीहूँइनबातोंकामतलबनही
परइसचाँदकाक्या
जोपृथ्वीकेपासआकेइतरारहा
मुझेजराभीनहीभारहा !

5.
तेरी मेरी टाइमिंग
ये तस्वीरें हैं या तुम अवचेतन में हो
इन्हे देखती हूँ फिर फिर
जब-तब, जब उदास होती हूँ
या जब खुश होती हूँ
जब तुम्हें देखने का मन होता है
जब ऐसा मन नही होता तब भी
बाज वक्त मुझसे कुछ कुछ कहते रहती हैं ये
क्या ये न पूछना
कभी लहरों से खेलती तस्वीर तुम्हारी
कभी पेड़ के नीचे शाख को तकिया बनाये
ऊँचे पहाड़ों पर प्रेम का अनहद नाद बजाते
तो कभी झरनों के साथ बहती तस्वीर तुम्हारी
फिर सोचती हूँ उस काल के बारे में
जब तस्वीरें नही होती थीं
टेलीफोन,डाक, मोबाइल नही था जब
कैसे आँखें मानती थीं,देखे बिना तस्वीर भी
सब्र कैसे कर लेते थे ये कान सुने बिना आवाज
धन्यवाद देती हूँ कोटि कोटि उस परम पिता की टाइमिंग को
जिस समय सारे साधन उपलब्ध हैं
और काफी हद तक आज़ादी भी और

जिस टाइमिंग में जोड़ा मुझको और तुझको 

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