दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्राएं और 'पिंजरा तोड़'अभियान की पाती
'पिंजरा तोड़' दिल्ली के विभिन्न विश्वविद्यालयों की छात्राओं द्वारा स्वतंत्र रूप से चलाया जा रहा अभियान है। यह महिला छात्रावासों व पीजी में लागू भेदभावपूर्ण व असम्मानजनक नियमों के अंत की मांग करता है...
View Articleभरत तिवारी 'फैजाबादी'की ग़ज़लें
भरत तिवारी 'फैजाबादी'आजकल अच्छी ग़ज़लें कहने लगे हैं. समय की विडंबनाएँ जैसे उनके शेरों में उतर रही हैं. चालू बहरों से हटकर कुछ संजीदा, कुछ तंजिया शायरी से लुत्फ़अन्दोज़ होइए- मॉडरेटर...
View Articleवो हमसफ़र था मगर उससे हमनवाई न थी
इधर मैंने कुछ कहानियां ऐसी लिखी हैं जो किसी गीत-ग़ज़ल से जुडती हैं, उन कहानियों में बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह से ग़ज़ल चलती रहती है. उस श्रृंखला की एक कहानी आपकी राय के लिए- प्रभात रंजन...
View Articleअल्पसंख्यक होना लगभग अपराधी होना बन गया है- अशोक वाजपेयी
अशोक वाजपेयी अपनी जनतांत्रिकता के लिए जाने जाते रहे हैं. देश की जनतांत्रिक परम्पराओं पर जब भी संकट के बादल मंडराए हैं उन्होंने आगे बढ़कर उका प्रतिकार किया. 2002 में हुए गुजरात दंगों के समय उन्होंने...
View Articleतीसरा शैलप्रिया स्मृति सम्मान अनीता रश्मि को
पिछले साल शैलप्रिया स्मृति सम्मान लेखिका नीलेश रघुवंशी को दिया गया था. इस बार अनीता रश्मि को देने का निर्णय किया गया है. यह सम्मान अलग ढंग का सम्मान है जो लेखिकाओं को हर साल सम्मानित करता है. शैलप्रिया...
View Articleअकादेमी अध्यक्ष की गुगली- सुधीश पचौरी
आज 'दैनिक हिन्दुस्तान'में सुधीश पचौरीजी का धारदार व्यंग्य. ===========================================मैं अकादमी के अध्यक्ष जी की प्रतिभा का अब जाकर कायल हुआ हूं- उन्होंने अकादमी के पक्ष में अंगद की...
View Articleअसगर वजाहत का कैम्पस कनेक्शन!
असगर वजाहत हमारे दौर के सबसे जीवंत किस्सागो हैं. उनके लिखे उपन्यास हों, कहानियां हों या गद्य की किसी और विधा का लेखन हो उनमें वाचिक परम्परा का वैभव दिखाई देता है. उनको पढने, सुनने की लत पड़ जाती है....
View Articleरवीन्द्र जैन की ग़ज़लें
जाने -माने गीतकार, संगीतकार रवीन्द्र जैनअच्छे कवि थे. हाल में ही उनका देहांत हुआ तो उनकी कविताओं की किताब 'दिल की नज़र से'की याद आई. उसकी कुछ चुनिन्दा ग़ज़लें आपके लिए- मॉडरेटर...
View Articleमिरांडा हाउस, बाकरगंज के सैयद और एक यादगार सुबह
कल एक महत्वपूर्ण घटना का गवाह बना. असगर वजाहत की पुस्तक ‘बाकरगंज के सैयद’ का लोकार्पण मिरांडा हाउस कॉलेज में छात्राओं और अध्यापक-अध्यापिकाओं के बीच हुआ. कैम्पस की ओर जाने की राजपाल एंड सन्ज की मुहीम का...
View Articleक्या साहित्य अकादेमी अध्यक्ष को शर्म आती है?
ऐसा लग रहा है लेखकों ने अपने सारे दाग धो दिए हैं, मैं हिंदी-लेखकों की बात कर रहा हूँ. जिस भाषा के लेखक देश में हर आतातायी दौर में गुम्मी-सुम्मी ओढ़े रहे वे आज प्रतिरोध के सबसे बड़े प्रतीक बने हुए हैं....
View Articleतुम्हारी लिखी हमारी प्रेम कविता डिलीट हो गई
1 तकनीक, आभासी दुनिया ने हमारे संबंधों के संसार को बदल कर रख दिया है. प्रेम का एक नया संसार है. इन कविताओं में अभिव्यक्त अनुभव इसी नए संसार के माध्यम से है. यशस्विनी पांडेकी कविताएं जब मेल पर मिली तो...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता!
विजयादशमी के बहाने एक लेख लिखा है- प्रभात रंजन =====================================ब्रिटिश लेखिका एलिस एल्बिनिया ने कुछ साल पहले महाभारत की कथा को आधुनिक सन्दर्भ देते हुए एक उपन्यास लिखा था ‘द लीलाज...
View Articleराजनीति की चालें और लेखक!
मुझे पुण्यप्रसून वाजपेयी की वह बात अक्सर याद आती है जो उन्होंने बहुत पहले मुझे साक्षात्कार देते हुए कही थी. उन्होंने कहा था कि भारतीय मानस में अभी कैमरे का मतलब सिनेमा होता है. आप टीवी का कैमरा लेकर...
View Articleनारंगी देश? या हरा देश? खूनी देश? या शांत?
कविता कई बार हमारी बेचैनियों को, हमारी चिंताओं को भी आवाज देती है. देश-समाज पर चिंता करने की एक शैली. सौम्या बैजलकी कविताओं को पढ़ते हुए वही बेचैनी महसूस हुई. मुक्तिबोध की पंक्तियाँ हैं- क्या करूँ/कहाँ...
View Articleगोपालराम गहमरी के भारतेंदु हरिश्चन्द्र
इस वर्ष एक बहुत अच्छी पुस्तक आई- 'गोपालराम गहमरी के संस्मरण'. संपादन किया है संजय कृष्ण ने. इस पुस्तक में जासूसी कथा के इस अग्रदूत ने एक संस्मरण भारतेंदु हरिश्चंद्र पर लिखा है. जरूर पढियेगा. आनंद आ...
View Articleअवधेश प्रीत और 'चाँद के पार एक चाभी'
अवधेश प्रीतहमारे दौर के एक जरूरी लेखक हैं. पिछले दिनों उनकी एक कहानी 'हंस'में आई थी- 'चाँद के पार एक चाभी'. गाँव के बदलते हुए यथार्थ का बड़ा अच्छा रचनात्मक पाठ है उसमें. उसी कहानी पर एक टिप्पणी की है...
View Articleअंकिता आनंद की आठ कविताएं
हिंदी में लिखने वाले ऐसे कवि-कवयित्रियों की तादाद बढ़ रही है कविता जिनके लिए कैरियर नहीं है, कुछ पाने की महत्वाकांक्षा नहीं. उनके लिए कविता समय, समाज में जो खो रहा है उसको दर्ज करने की बेचैनी है. अंकिता...
View Articleथी कोई आवाज या सचमुच खुदा
आज महान लोक गायिका रेशमा की पुण्यतिथि है. उनको याद करते हुए लेखिका, गायिका मालविका हरिओमने यह दिल को छू लेने वाला लेख लिखा है. साथ में मालविका जी की आवाज में रेशमा का मशहूर गीत-'चार दिनों का प्यार ओ...
View Articleपाकिस्तान ना हुआ मानो सगी ख़ाला घर हो गया
बहुत दिनों बाद सदफ़ नाज़ ने व्यंग्य लिखा है. और क्या लिखा है! तंजो-ज़ुबान की कैफियत पढने लायक है- मॉडरेटर ======= ये जो पुरजोश-छातीठोक,धर्म-राष्ट्र बचाओ किस्म के लोग हैं, आए दिन किसी न किसी को पाकिस्तान...
View Articleभाव का दिया और उम्मीद की बाती जलाने का पर्व
आज 'प्रभात खबर'के कुछ संस्करणों में दीवाली पर मेरा यह छोटा सा लेख आया है. मौका मिले तो देखिएगा- मॉडरेटर ============दीवाली जिस दिन मनाई जाती है वह दिन उस महीने का सबसे अँधेरा दिन होता है- कार्तिक मास...
View Article