Quantcast
Channel: जानकीपुल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

'नॉन रेजिडेंट बिहारी: कहीं पास कहीं फेल'का एक अंश

$
0
0
इन दिनों युवा लेखक शशिकांत मिश्रके उपन्यास 'नॉन रेजिडेंट बिहारी: कहीं पास कहीं फेल'की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है. अमेज़न पर प्री-बुकिंग चल रही है. उसका एक रोचक अंश- मॉडरेटर 
================================================================

श्याम भैया के साथ फिर गेम हो गया था। इंटरव्यू में बस 13नम्बर! पिछली बार 17नम्बर दिए थे बोर्ड ने। इस बार तो बोर्ड के एक मेम्बर ने साफ-साफ कहा कि क्या आपको नहीं लगता है कि आप यहाँ के लड़कों का हक मार रहे हो?

''सर, अगर आपको ऐसा लगता है तो आप ये रूल क्यों नहीं बना देते कि आपके स्टेट पीसीएस में केवल इसी स्टेट के स्टूडेंट एप्लाई कर सकते हैं। हम लोग साल भर मेहनत करते हैं। ख्वाब देखते हैं और आखिर में एक और साल बर्बाद। पहले से पता चल जाए तो कुछ और ऑप्शन तलाश सकते हैं।’’

हरदम के लिए बाय-बाय करने का फैसला कर लिया श्याम भैया ने इस लफड़े को। यूपीएससी का चांस खत्म होने के बाद ही कुछ और करना चाहते थे, लेकिन उनके पापा का बहुत मन था। एसपी न सही, डीएसपी ही सही लेकिन अब वे भी ज्यादा कुछ नहीं कहते थे। नसीब को कोसते थे, लेकिन श्याम भैया के पास किसी को कोसने के लिए वक्त नहीं था। खर्च निकालने की समस्या थी। पापा रिटायर हो चुके थे।

कोचिंग खोलने का फैसला किया था उन्होंने। पहले भी खर्च निकालने के लिए पाँच-छह स्टूडेंट को रूम पर ही पढ़ाया करते थे। अब इसी को फुल टाइम देकर थोड़ी प्लानिंग के साथ करने का फैसला किया उन्होंने।

राहुल सोच में पड़ जाता था, क्या करेगा वह अगर उसके सामने ऐसी स्थिति आ गई तो? माँ और बहन का चेहरा सामने आ जाता था।

''जब कोई रास्ता अचानक बन्द हो जाता है तो वहाँ से कम-से-कम दो रास्ते निकलते हैंदाएँ-बाएँ। थोड़ा पीछे हटकर नया रास्ता तलाशने में भी कोई बुराई नहीं है। वार में दुश्मन को धोखा देने के लिए दस्ता थोड़ा पीछे हटता है। फिर नई तैयारी के साथ धावा बोलता है। ये सब तो लाइफ है बेटा! इतना नहीं सोचते।’’ पिता की पुरानी बातों का महत्त्व अब समझ में आ रहा था राहुल को।

गोपी अपने हनुमान जी पर सब टेंशन डालकर निश्चिन्त रहता था। बहुत बड़ा हनुमान भक्त था। सुबह उठकर हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद ही चाय पीता था। एग्जाम का एडमिट कार्ड हनुमान जी के चरणों में ही रहता था। रोज हनुमान जी के साथ उसकी भी पूजा होती थी। अगरबत्ती दिखाई जाती थी। एग्जाम के दिन खास पूजा होती थी। ज्यादा देर तक अगरबत्ती दिखाता था गोपी। लेकिन पिछली बार उसी अगरबत्ती ने खेल कर दिया था। जलकर उसके रोल नम्बर पर गिर पड़ी थी। गोपी को कुछ खबर नहीं लगी। पूजा-पाठ के बाद उसी एडमिट कार्ड को लेकर पहँुच गया सेंटर। गनीमत यही रही कि टीचर भी हनुमान भक्त निकले। उसे एग्जाम देने की परमिशन दे दी वरना उसकी साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाता। लेकिन गोपी को समझाओ तो भड़क जाता था। अपने हनुमान जी के खिलाफ एक शब्द भी सुनना भी उसे पसन्द नहीं था। एग्जाम में जिस सवाल का जवाब नहीं आता था उसका सॉल्यूशन भी हनुमान जी ही निकालते थे। आँख बन्द कर हनुमान जी को याद करने के बाद पेपर पर अँगुली रखता था।

''दो ही ऑप्शन पर अँगुली पड़नी चाहिए। जिन दो ऑप्शन पर अँगुली पड़ेगी उन्हीं में से एक को सलेक्ट करना है।’’

दो ऑप्शन में भी हनुमान जी ही मदद करते थे। जेब से सिक्का निकालता था। हनुमान जी का ध्यान करके सिक्का उछालता था।

''हेड आया तो सी...टेल पर डी।’’

''गोपी, ये तो गलत जवाब है! इसका जवाब तो 'है।’’

गोपी को झटका लगता था—''हनुमान जी नाराज हैं क्या?’’

''जरूर हनुमान जी का ध्यान करते वक्त इसकी मकानमालकिन की बेटी की फिगर बीच में आ गई होगी। 36-24-34। आइडिएल फिगर।’’

संजय मजाक करता था। परेशान भी बहुत करता था उसे। एक बार गोपी ने रात में खीर नहीं खाई। सुबह उठकर खाने का प्लान था। लेकिन सुबह उठा तो संजय माहौल बनाए हुए था।

''यार गोपी, रात सपने में तेरे हनुमान जी आए थे!’’
''मजाक मत कर!’’
''नहीं यार, सच कह रहा हूं! तेरी कसम! साक्षात बजरंग बली! कंधे पर गदा! गुस्से से मँुह फुलाए हुए!’’
''सच बोल रहा है तू?’’
''हाँ यार...’’
''फिर क्या हुआ?’’
''यार, उन्होंने अपना भारी-भरकम पैर मेरे सीने पर रख दिया। मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा साक्षात बजरंग बली! डर के मारे मेरी हालत खराब। चटपट हाथ जोड़ दियाप्रभु क्या गलती हुई है?’’
गोपी कुछ अविश्वास के साथ संजय की बात सुन रहा था।
''तुम मेरे भक्त गोपी को बहुत परेशान करते हो।’’
''नहीं प्रभु, आपको गलत इन्फॉर्मेशन मिली है।’’
''बकवास बन्द...खुद मेरे भक्त ने यह बात बताई है।’’
गोपी सोचने लगा, ''कुछ कहा तो नहीं था उसने, लेकिन लगता है कि हनुमान जी ने मेरे दिल की बात सुन ली है। अब आया बच्चू औकात में!’’
''फिर क्या हुआ...?’’
''वो बाद में बताऊँगा। पहले ये बता कि क्या वाकई तूने मेरी शिकायत की थी उनसे?’’
''छोड़ उस बात को। आगे बता क्या हुआ?’’
''नहीं, पहले बता, क्या तूने मेरी शिकायत की थी?’’
''बताता हूं, पहले ये तो बता कि आगे क्या हुआ?’’
''आगे क्या हुआ। हनुमान जी उसी तरह गदा ताने रहे। धमकाया कि तू खुद ताजी खीर खाता है और मेरा भक्त बासी खीर खाएगा! ये नहीं हो सकता। तुझे पनिशमेंट दिया जाता है, तू बासी खीर खा। जल्दी उठकर खीर खा, नहीं तो तेरा सिर फूटा!’’
रूम में जबरदस्त ठहाका लगा। गोपी की खीर टपा दी थी संजय ने।
लाला का सबसे अलग केस था। राहुल लाला के बारे में कोई साफ राय नहीं बना पाता था। चाहता क्या है ये बन्दा? ना कैरियर को लेकर सीरियस, ना किसी रिश्ते को लेकर। 10साल पहले दिल्ली आ गया था। यूपीएससी का चांस खत्म हो चुका था। अब स्टेट पीसीएस के फॉर्म भरता है, लेकिन बस भरता है। एग्जाम भी देता है, क्योंकि उसके पापा देने के लिए कहते हैं।
''लाला के पापा के पास बहुत पैसा है। ढेर सारा, लेकिन पावर और प्रेस्टीज के लिए मरते रहते हैं। अब खाद ब्लैक करनेवाले को कौन इज्जत देता है? थाने को भी हफ्ता दो, नेता जी को भी चन्दा। किसी को कुछ कह नहीं सकते थे। एक बार एक मामूली इंस्पेक्टर से पंगा लिया था। पाँच हजार के लिए, उसने 50हजार की चोट दे दी थी। गोदाम में छापा पड़ गया था।’’
श्याम भैया बताया करते थे लाला के पापा के बारे में, चेहरे पर कड़वाहट लिये।
''इसके पापा की बड़ी ख्वाहिश है कि बेटे को लालबत्ती मिल जाए। दिन-रात सोते-जागते लालबत्ती का ख्वाब देखते रहते हैं लेकिन उस बत्ती की चमक में बेटे के चेहरे की चमक कब गुम हो गई, इसका पता भी नहीं चला उन्हें। जिस लड़की से ये प्यार करता था, उसकी शादी कहीं और हो गई। घर पर इसने पिता को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन पिता को बेटे के प्यार से ज्यादा लालबत्ती से प्यार था।’’
पिता के साथ रिश्ता फिक्स था लाला का। एक लेटर लिखकर फोटोस्टेट करा लिया था।
आदरणीय पिताजी,
सादर चरण स्पर्श!
अत्र कुशलम् तत्रास्तु। मैं अच्छी तरह हूं। मुझे इस महीने...रुपए की जरूरत है। आशा करता हूं कि घर में सब स्वस्थ और प्रसन्न होंगे।
आपका,
लाला
बस हर महीने इस लेटर में खाली जगह में नई डेट और मेस बिल के हिसाब से नया एमाउंट भरता और पिता को भेज देता। पिता से मिले पैसे को ईमानदारी से किताब, कॉपी, किराया और मेस बिल में खर्च करता था। अपनी ट्यूशन की कमाई से पार्टी। महीने की शुरुआत में सिगार, उसके बाद महँगी विदेशी सिगरेट, बाद में इंडियन सिगरेट और 20-25तारीख के बाद बीड़ी! एक बार उसने उसे सिगरेट के बट चुनते भी देखा था। महीने का आखिरी सप्ताह चल रहा था। मस्तमौला फकीरों की जिन्दगी जी रहा था। बस जिस दिन माँ का खत आ जाता था, उस दिन किसी से नहीं मिलता था। इन्दिरा विहार के नाले किनारे देर रात तक बैठकर पीता रहता था। माँ को बहुत चाहता था, लेकिन चाहकर भी उसे खुश नहीं रख पाता था।

''कैसे खुश रखँू माँ को? वह अब पोता-पोती चाहती है और यहाँ मैं! जब किसी लड़की को मैं उसका हक ही नहीं दे पाऊँगा तो उसकी जिन्दगी क्यों खराब करूँ मैं?’’
  
शालू जून में दिल्ली आ रही है। अपने परिवार के साथ। वैष्णो देवी जाने का प्लान था उनका, लेकिन दिल्ली में दो दिन रुकनेवाले थे सब। सात महीने बाद मुलाकात होगी शालू से, राहुल का दिल धड़क रहा थाइतने दिनों बाद मिलेंगे! कटिहार में तो रोज मुलाकात हो जाती थी लेकिन यहाँ तो बस फोन और मेल का सहारा।
=======================

किताब का नाम: नॉन रेजिडेन्ट बिहारी: कहीं पास कहीं फेल
लेखक:   शशिकांत मिश्र
प्रकाशन. फंडा;राधाकृष्ण प्रकाशन का उपक्रम
पृष्ठ संख्या:  128
साल: 2015
बाउंड . पेपरबैक
कीमत  99 रुपये 



Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

Trending Articles


हिन्दी कैलेंडर तिथि ,वार ,अंग्रेजी तारीख सहित - Calendar अक्टूबर,2015


तुमको हमारी उमर लग जाए - Tumko Hamari Umar Lag Jaaye (Lata Mangeshkar, Ayee...


शुभ दिन आयो - Shubh Din Aayo (Keerthi Sagathiya, Jyotica Tangri, Parmanu)


भारत के प्रमुख वाद्ययंत्र और उनके वादकों की सूची - List of Musical...


बिना छतरी का सेटअप बॉक्स कौन सा होता है?


बिहार : मुखिया से विधान सभा तक पहुंचे हैं रफीगंज के विधायक मो. नेहालउद्दीन


101+ Anmol Vachan in Hindi |सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक अनमोल वचन


मेरे ख्यालों की मलिका - Mere Khayalon Ki Malika (Abhijeet, Josh)


Miss You Status, Miss You Quotes In Hindi, Miss You Jaan Status


विश्व के प्रमुख देश और उनकी गुप्तचर संस्थाओं की सूची



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>