Quantcast
Channel: जानकीपुल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

देव आनंद के ऊपर दिलीप कुमार

$
0
0
दिलीप कुमारऔर देव आनंद समकालीन अभिनेता ही नहीं थे अच्छे दोस्त भी थे. देव साहब के निधन पर दिलीप कुमार ने यह लिखा था. कल देव आनंद का जन्मदिन था तो सैयद एस. तौहीदने इस लेख की याद दिलाई. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर 
======================

सिनेमा में दाखिल होने के मामले में देव मुझसे महज एक बरस जूनियर थे। चालीस दशक के मध्य में हम तीनों यानी राज,देव व मैंने तकरीबन एक साथ फिल्मों में कदम रखा। वो भी क्या दिन थेआज भी आंखों के सामने हैं। काम की तलाश में बाम्बे की लोकल में इधर-उधर फिरने के दिन। देव भी अक्सर साथ हुआ करते थे। थोड़े ही दिनों में हमारे बीच दोस्ती पनप चुकी थी। वे घर के सदस्य बराबर थेनासिर(दिलीप कुमार के छोटे भाई) से उनकी मुझसे भी ज्यादा बनती थी। दशक के पूरे होने तक हमने फिल्मों में मजबूत आधार हासिल कर लिया था। 'शहीद''अंदाज'व 'बरसात'से राज व मेरी पहचान सितारों में होने लगी। हमारे समानांतर  'बाज़ी'व 'जिददी'सरीखी फिल्मों ने देव को भी सितारों में बिठा दिया।  शुरु के जमाने से ही देव व मेरे दरम्यान एक पेशेवर तालमेल कायम रहा। पेशेगत मजबूरियों के नाम हमने दोस्ती का अदब नहीं भुलाया। हमने एक दोतरफा रिश्ता बनायाएक शांत व अनकही संहिता को हमने निभाया। एक दूसरे की इज्जत करना हम बखूबी जानते थे। राज देव और मेरे बीच मिलना-जुलना बराबर होता रहा। हम एक दूसरे के काम के ऊपर सकारात्मक चर्चाएं करते थे। एक दूसरे से पेशेवर अनुभव शेयर करना हमने सीख लिया था। उन हास्य-व्यंग्य के पलों को भुला नहीं सकता जब राज देव व मेरी दिलचस्प नक़ल किया करते। वो बेहद खुबसूरत पल थेक्योंकि हम विरोध नहीं बल्कि रोचक प्रतिस्पर्धा में जी रहे थे। हर कलाकार व तकनीशियन का सहयोग व समर्थन करना देव की एक बडी खासियत थी। उनके कातिलाना रंग-रूप का जवाब नहीं था। देव की मुस्कान का रुमानी अंदाज आज भी सबसे दिलकश नजर आता है। जब कभी आपको उपयुक्त कथा व काबिल फिल्मकार मिला कमाल कर दिखाया। इस सिलसिले में देव की 'काला पानी', 'असली नकली'एवं गाईड की तारीफ करनी होगी।
फिल्म में रूमानी दृश्यों को खूबसूरती से अंजाम देने में देव साहेब सबमें अव्वल थे। जेमिनी की महान प्रस्तुति इंसानियतमें हमें एक साथ काम करने का सुनहरा अवसर मिला। एस एस वासन की यह शाहकार राजसी नाट्कीयता समेटे हुए थे। देव की हृदयता का आलम देखें कि मेरी तारीखों से मेल करने वास्ते देव ने खुद की फिल्म शुटिंग स्थगित कर दी थी। मेरी अनुभव रहा कि देव जूनियर कलाकारों को लेकर भी बडे दरियादिल थे। आपने कभी किसी की मेहनत को नजरअंदाज नहीं कियापरफेक्ट शाट निकालवने के लिए टेक पर रिटेक मंजूर था। इस तरह उन गुमनाम कलाकारों में आत्मविश्वास का भाव हो जाता। एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना हमारी प्राथमिकताओं में था। देव की बहन की शादी में गया। फिर बिटिया देविना के ब्याह में भी शामिल हुआ। मिलने जुलने का मसला हम दोनों के बीच नहीं था। 
याद आ रहा कि मेरी शादी में देव पत्नी मोना को लेकर आए थे। दोनों ने हमारी रस्मों को देखा। सिर्फ यही नहीं हमारे दौलतखाना पाली हिल की बाकी मजलिसों में भी देव का आना होता था। हम दोनों एक परिवार की तरह थे। मधुर रिश्तों के बीच हम पेशागत बोझ को नही लाते थे। हम पंडित नेहरू से यादगार मुलाकात को नहीं भुला सकते। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुझे राज व देव को मिलने बुलाया था। देश समाज व सिनेमा पर हमसे बातें हुई। तीनों ने अपने विचार रखे। देव आनंद को जिस स्नेह से मैं देव बुलाया करता था। वो भी मुझे लालेकह कर संबोधित करतेदेव के निधन ने झकझोर दिया है। लंदन से यूँ अचानक आई खबर ने दिल को गहरा सदमा दिया है। जन्मदिन पर बुलाया थासोंचा था कि देव का आना होगा। वो आएगासीने से लगाकर कहेगा लाले तु हज़ार साल जिएगा। यह मेरा सबसे गमगीन जन्मदिन होगाकहां गए देव मुझे छोडकर

..... (दिलीप कुमार)



Viewing all articles
Browse latest Browse all 596

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>