हिंदी में किशोरों के जीवन, उनकी शिक्षा, उससे जुड़े तनावों को लेकर कम कहानी लिखी गई है. प्रबुद्ध जैन की यह कहानी उसी तरह की है- मॉडरेटर
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बात साल 2007 की है। अंशुल फ़िफ़्थ में रहा होगा। मां-बाप यानी किशोर और नम्रता बेटे का हाथ थामे 'तारे ज़मीं पर'देखने के बाद थियेटर से बाहर निकले तो पास के कॉफ़ी हाउस में चर्चा सिर्फ़ एक चीज़ पर हुई। अंशुल को वो सब करने दिया जाएगा जो वो ज़िंदगी में चाहे। जब पति और पत्नी बेटे की ज़िंदगी का ख़ाका खींच रहे थे तो मोटे तौर पर उनके दिमाग़ में उसका करियर ही घूम रहा था।
ये कुछ उसी तरह के भावावेश में किया गया फ़ैसला था जैसे किशोर ने 'बाग़बान'देखने के बाद बाबूजी को ओल्ड एज होम से वापस लाने का फ़ैसला लगभग कर ही लिया था लेकिन अगली सुबह दफ़्तर जाने के बाद विचार दिमाग़ से निकल गया।
हिंदी सिनेमा विचार बहुत तेज़ी से पैदा करता है। फिर, उससे दोगुनी तेज़ी से उन विचारों का ख़ात्मा कर डालता है।
तारे ज़मीं पर'देखते हुए पर्दे पर 'मैं कभी बतलाता नहीं, अंधेरे से डरता हूं मैं मां'आते ही नम्रता की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई। किशोर और नम्रता ने बीच में बैठे अंशुल को आग़ोश में लेकर उस अंधेरे में ढेर सारी ममता उड़ेल दी। उस दिन से ये गाना अंशुल का फ़ेवरेट बन गया। ईशान अवस्थी की हालत देखकर और रामशंकर निकुंभ की प्रेरणादायी डायलॉगबाज़ी के बाद उनकी मन:स्थिति बदल चुकी थी। ज़ाहिर है जब फ़िल्म का इतना असर हुआ तो हर साल मैग्नीफ़ाइंग ग्लास से अंशुल के रिपोर्ट कार्ड का मुआयना करने वाले मां-बाप ने उसे उसके दिल की आवाज़ सुनने देने का फ़ैसला कर लिया। ये अभूतपूर्व फ़ैसला था। लेकिन चूंकि ये उसी अंधेरे से उपजा, भावावेश में किया गया फ़ैसला था तो इसकी उम्र भी दस-पंद्रह दिन ही रह पाई।
इन दस-पंद्रह दिन में अंशुल ने कोई साढ़े तीन कविताएं लिखीं-तीन पूरी और एक अधूरी, पास ही बनने वाली बिल्डिंग के लिए जमा रेत में से कुछ सीपियां चुनकर पुराने पेंसिल बॉक्स के हवाले की, पिछले दो महीने से कट्टी चल रहे दोस्त रुचिर से पुच्ची की और पीले चार्ट पेपर को काटपीट कर अपने मन के कुछ डिज़ाइन बनाए। यानी कुल मिलाकर जमके टाइम बर्बाद किया। क्योंकि जब किशोर और नम्रता को ये एहसास हुआ कि ईशान अवस्थी वास्तव में भला चंगा है और छोटे पर्दे पर मज़े से डांस कर रहा है तो उनके पास हिंदी सिनेमा को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं था। ईशान अवस्थी के चक्कर में अंशुल निरा निकट्ठू होता जा रहा था, ये यकीन उन्हें हो चला था और फिर अंशुल को अपना रास्ता ख़ुद तय करने देने की पॉलिसी बीच में ही लैप्स हो गई।
किशोरऔरनम्रतादोनोंकामकाजीथे।जवान, ठीकठाककमानेवालेऔरवीकेंडपरफ़िल्मेंदेखनेवाले।एकबच्चाकरेंगे, येडेटिंगकेदौरानहीतयहोचुकाथा।हां, उसेक्याबनाएंगेइसपरबहसगाहे-बगाहेहोतीरहतीथी।किशोरइंजीनियरिंगकेपक्षमेंथातोनम्रताएमबीएके।अंशुलजबसवानौसालकाथातोएकदिनअचानकउसकेभविष्यकीउज्जवलराहखुलगई।नम्रताकेकिसीरिश्तेदारनेइंजीनियरिंगकेबादएमबीएकरके 42 लाखकापैकेजहासिलकियाथा।तोयेतयठहराकिअंशुलइंजीनियर-एमबीएकहलाएगा।इसनतीजेकाएकफ़ायदायेभीहुआकिकिशोरऔरनम्रताकेबीचअंशुलकेकरियरकोहोनेवालीबहसोंपरविरामलगगया।क्योंकिइसनएचुनेगएकरियरमेंदोनोंकीबातकामानरहगया।
सबयोजनाकेमुताबिक़हीचलरहाथा।अंशुलकावैदिकमैथ्ससमेतचारविषयोंकाट्यूशनलगवादियागयाथा।शामकोताइक्वांडो, होमवर्क, रिवीज़नऔरबिस्तर।ज़िंदगीइसीकेइर्द-गिर्दचक्करलगारहीथी।फिरनजानेकहांसेये'तारेज़मींपर'आगईऔररामशंकरनिकुंभदेशभरकेबच्चोंकेभविष्यमेंपलीतालगानेआपहुंचा।वोतोभलाहोमतिकाजोबेवक़्तमारीजातीहैतोकभी-कभीऐनवक्तपरआभीजातीहै।किशोरऔरनम्रताकोभीआगई।उन्होंनेफ़िल्मकोकोसतेहुएअंशुलकेपंद्रहसपनीलेदिनोंमेंशामिलकविताओं, सीपियों, डिज़ाइनकोएकबक्सेमेंबंदकियाऔरउसेउन्हींवैदिकमैथ्स, साइंस, ताइक्वांडो, होमवर्क, रिवीज़न, बिस्तरवालेदूसरेबक्सेमेंडालदिया।
इसबक्सेमेंपड़े-पड़ेअंशुलनेनजानेकितनीबार'तारेज़मींपर'सेहीगुनगुनायाथा-
'मैंकभीबतलातानहींअंधेरेसेडरताहूंमैंमां'
लेकिनपतानहींग़लतीसेयाजानबूझकरकुंडीइतनीमज़बूतीसेबंदथीकिगानाबक्सेकीदीवारोंसेटकराकरदमतोड़तारहा।वोजब-जबयेगानागुनगुनारहाहोतातोउन्हींदिनोंमेंपहुंचजाताजबयेफ़िल्मदेखतेहुएनम्रताऔरकिशोरनेउसपरदिलोजानसेप्यारलुटायाथा।उसेलगताकिशायदअबकुंडीखुलेगीऔरमांवहीप्यारउमड़ातेहुएउसकाबक्साबदलदेगी।उसेकविताओं, सीपियोंऔरपीलेपेपरकीकतरनोंसेबनेडिज़ाइनवालेबक्सेकीयादबेतरहआती।
रिपोर्टकार्डअबडबलमैग्नीफ़ाइंगग्लाससेदेखेजातेथे।खेलकावक़्तमिनटोंकेहिसाबसेतयहोनेलगा। 2008 कीमंदीअपनाकामकरचुकीथी, जिसकेसाथनम्रताकीनौकरीभीचलीगई।मंदीकादानव, दुनियाकीअर्थव्यवस्थाकोतहस-नहसकरतेवक़्तअगरअंशुलजैसेमासूमोंपरउसकेअसरकीकल्पनाकरपातातोउम्मीदथीकिपिघलजाता।लेकिनजिसदौरमेंमानवोंसेभीकल्पनाशीलताकीउम्मीदकरनाज़्यादतीहो, वहांदानवसेआपऐसीउम्मीदक्योंकरेंगेभला !
बक्सेकीदीवारोंसेरगड़खाते-खातेअंशुलफ़िफ़्थसेनाइंथमेंआचुकाथा।वोपढ़ाई-लिखाईकेसीरियसमोडमेंपहुंचगया।यानी, जबपढ़े-लिखेनौकरीपेशामां-बापबच्चोंकीपढ़ाईकोलेकरमरने-मारनेतकसीरियसहोजातेहैं।अंशुलकेभविष्यकोलेकररणनीतियोंकादौरअपनेचरमपरथा।बोस्टनवालीदीदीसेलेकरबरेलीवालेताऊजीतकसबकीरायलीजानेलगी।नेपोलियनकेवक़्तमेंअगरमां-बापरणनीतिकेयेपैंतरेऔरतैयारीकायेस्तरदिखातेतोयक़ीननवोवॉटरलूकेमैदानमेंभीफ़्रांसकाझंडाफहराकरहीदमलेता !
हालांकि, सारीरायशुमारीकेबाद, बातवहीनम्रताकेपुरानेफ़ैसलेकोसहीबतानेपरख़त्महुईकिअंशुलकोपहलेइंजीनियरिंगकरनीचाहिएऔरफिरएमबीए।बस, इसमेंकैचयहीथाकिकॉम्बिनेशन IIT-IIM काहो।औरअंशुलये'कैच'पकड़नेकेमूडमेंक़तईनहींथा।
नम्रतानेफ़ैसलाकियाकिउसे IIT कोचिंगकीराजधानीकोटाभेजाजाए।किशोरनेउसकेफ़ैसलेपरसहमतिकीमोहरलगाई। 14 सालकेबच्चेकोअपनाशहरछोड़करउससपनेकोजीनेकोटाजानाकुछभारीजानपड़ाजिसमेंउसकीहिस्सेदारीज़ीरोथी।वोसपनाउसनेनहींदेखाथा, कभीनहीं।लेकिन, वोहररातकौनसासपनादेखताथा, येतोउससेकिसीनेकभीपूछाहीनहीं।उसकेसारेसपनेउसीबक्सेमेंक़ैदहोगएथेजिसमेंउसकीसाढ़ेतीनकविताएं, सीपियोंवालापेंसिलबॉक्सऔरपीलेपेपरकेडिज़ाइनबंदथे।लेकिन, चूंकिइसबारमामलासंगीनथातोअंशुलनेबग़ावतीतेवरोंकामनबनालिया।
अगलेरोज़हीनाश्तेकीटेबलपरऐलानहोगया।
"मुझेनहींजानाकोटा"
"हूं", किशोरनेअख़बारसेबिनानज़रेंहटाएजवाबजैसाकुछदिया।
"मैंनेकहा, मुझेकोटानहींजाना"
"कोटानहींजानामतलब? कुछसोचकेभीबोलरहेहो?", इसबारजवाबकामोर्चानम्रतानेसंभाला।
"मुझेइंजीनियरिंगनहींकरनी"
"तोक्याफ़ोटोग्राफ़ीकरनीहै, राइटरबननाहैयाफिरफ़िलॉस्फर"
"नहींपता, बसअभीयहीपताहैकिइंजीनियरिंगनहींकरनी"
"पतानहींहैतोपताकरो...नाइंथमेंहो, कोईबच्चेनहींहो! औरवोकौनसीफ़िल्मगएथेहमपिछलेसंडे...हां...थ्रीइडियट्स।येउसीकाभूतचढ़ाहैतुमपर।इसेजितनाजल्दीउतारलोउतनाबेहतरहै।येसबफ़िल्मोंमेंहीअच्छालगताहै।आमिरख़ानकोरामशंकरनिकुंभबननेकेभीकरोड़ोंमिलतेहैंऔररणछोड़दासचांचड़बननेकेभी।तुमकोइन्हेंफ़ॉलोकरकेफूटीकौड़ीनहींमिलनेवाली।"किशोरकीआंखेअख़बारसेपूरीतरहहटकरअंशुलकीआंखोंमेंधंसीथीं।
नाश्तेकीटेबलपरहुईइसबातचीतसेदोचीज़ेंसाफ़होगईं।एक, अंशुलकोकोटाजानेसेभगवानभीनहींबचासकतेथे।दूसरा, किशोरऔरनम्रताकोचारसालपहलेआमिरख़ानपंद्रहदिनकेलिएबेवकूफ़बनाचुकाथालेकिनइसबारवोपूरीतरहतैयारथे।किसीसमीक्षकनेलिखाभीथा-'थ्रीइडियट्स'अपनेमक़सदमेंबुरीतरहनाकामरहतीहै।जबआख़िरीसीनमेंबच्चेकोपैरचलातेदेखउसकानानायानीबमनईरानीउसेफ़ुटबॉलरबनानेकीबातकहताहैतोफ़िल्मकासारामैसेजभरभराकरगिरजाताहै।यानी, नानाबच्चेपरफिरसेअपनीइच्छाथोपनाचाहताहै।"
इससमीक्षाकोपढ़नेकेबादतोनम्रताकोऔरभीयक़ीनहोगयाथाकिपूरीफ़िल्मकामक़सदसिर्फ़पैसाकमानाहैनकिकोईमैसेजदेना।
तयदिन, अंशुलकाएकऔरबक्सातैयारथा।कोटावालाबक्सा।अगलेकुछसालउसेउसशहरमेंगुज़ारनेथेजिसेसभ्यभाषामेंइंजीनियरिंगऔरएजुकेशनहबऔरचलताऊभाषामेंइंजीनियरोंकीफ़ैक्ट्रीकारुतबामिलचुकाथा।
उसकेपुरानेबक्सेछूटरहेथे।उसेकिसीबक्सेकेछूटनेकाकोईग़मनहींथासिवायउसबक्सेकेजिसमेंउसकीसाढ़ेतीनकविता, सीपियोंकापेंसिलबॉक्सऔरपीलेपेपरकेडिज़ाइनबंदथे।दुखइसबातकाभीथाकिइनचार-पांचसालोंमेंउसनेउनसाढ़ेतीनकविताओंकोचारकविताओंमेंक्योंनहींबदला।उसअधूरीकविताकीटीसबहुतगहरीथी।इतनीकिउसकाबसचलतातोदुनियाकीहरदीवारपरकविताकेबाक़ीआधेहिस्सेकोउकेरदेता।बसमुश्किलयेथीकिकविताकापहलाआधाहिस्साउसेबिल्कुलयादनहींथाऔरअबउसेमंगानेयाज़िक्रछेड़नेकीकोईसूरतनज़रनहींआतीथी।
कोटामेंपत्थरबहुतहैं।तरह-तरहके, भवननिर्माणमेंकामआनेवाले।कोटास्टोनकेनामसेमशहूर।इन्हींपत्थरोंसेबीतेकुछसालोंमेंआलीशानकोचिंगसेंटरबनगएहैंजिनमेंफ़ाइवस्टारसुविधाओंकेबीचइंजीनियरबनाएजातेहैं।हकीमउस्मानीके'शीघ्रपतनशर्तियादूरकरें'विज्ञापनपरनाक-भौंसिकोड़नेवालोंकोयहांज़रूरआनाचाहिए।यहांकीइमारतोंसेलेकरसड़केंऔरगलियांविज्ञापनोंसेपटीपड़ीहैं...संदेशभीकमोबेशवहीहै, पहलेशब्दमेंस्पेसकेसाथ--'शीघ्रपतनशर्तियादूरकरें' !
कोचिंगसेंटरमेंपहलेदिनकीक्लासेज़केबादहीअंशुलकोयेएहसासबख़ूबीहोचुकाथाकिनाश्तेकीटेबलपरपेरेंट्ससेलड़तेवक़्त'बसइंजीनियरिंगनहींकरनी'कहनासचथा।वोयेकरतोसकताथालेकिनशायद IIT सेनकरपाए।जबयेतयहोहीचुकाथाकिपीछेलौटनेकीकोईसूरतनहींतोउसनेख़ुदकोपूरीतरहपढ़ाईमेंझोंकनेकामनबनालिया।येभावावेशमेंनहींबल्किपूरीतरहसोच-समझकरकियागयाफ़ैसलाथाइसलिएइसकीमियादकिशोरऔरनम्रताकेऐसेफ़ैसलोंसेकहींज़्यादारहनेवालीथी।
वक़्तकेपांवमेंजोपहिएहोतेहैं, उन्हेंनतोकभीसर्विसिंगकीज़रूरतपड़तीहैऔरनहीवोपंक्चरहोतेहैं।वोहमेशाआगेहीबढ़तेरहतेहैं।अंशुलकेलिएभीवक़्तकायेचक्कालगातारघूमतारहा।उसनेकईमौकोंपरचाहाकिपूरीताक़तसमेटकरकुछपलकेलिएसहीइसपहिएकोरोकलेलेकिननाकामरहा।इसदौरानउसनेढेरोंकवितालिखीं--प्यारकी, घरकी, यादकी, मांकी, कोटास्टोनकी, पत्तोंकी, आसमानकी, बारिशकीऔरभीनजानेक्याक्या।याद्दाश्तपरज़ोरडालकरघरकेबक्सेमेंछूटआईउसअधूरीकविताकोपूरीकरनेकीभीउसनेकईबारकोशिशकी, लेकिनशुरुआतयादहीनहींआई।उसेयेभीख़्यालआयाकिवोबाक़ीआधीकविताअंदाज़ेसेलिखलेऔरबादमेंकभीइसनएहिस्सेकेहिसाबसेउसपुरानेहिस्सेकोसुधारले।लेकिनहरबारयेख़्यालबेईमानीऔरस्वार्थमेंडूबामहसूसहुआ, सोछोड़दियागया।
कोटाकीसड़कों, रेस्टोरेंट, इंस्टीट्यूटकेआंगनों, सीढ़ियोंऔरकॉरिडोरसेगुज़रतेहुएअंशुलकोलगताथाकि IIT कासपनालेकरइसशहरमेंआएनजानेकितनेलड़के-लड़कियांअपनेघरोंकेबक्सोंमेंएक-एकअधूरीकविताछोड़आएहैं।वोकविताएंकभीमुकम्मलहोभीपाएंगीं, वोनहींजानता।परपतानहींक्यों, वोयेचाहताज़रूरथाकिदुनियाकीकोईकविताअधूरीनरहे।वोसारेछात्र-छात्राएंअभीकेअभीबस, ट्रेन, विमानपकड़ें, घरजाएं, बक्साखोलेंऔरउनअधूरीकविताओंकोपूरेमानीदें।उसनेअपनेदिलकीयेख़्वाहिशकिसीसेसाझानहींकीं, उसेडरथाकिकहींउसेपागलकरारनदेदियाजाए।वैसे, निजीतौरपरयेउसेज़्यादापागलपननज़रआताथाकिआपज़िंदगीमेंवोसपनाजीनाचाहतेहैंजोनतोआपकीआंखोंनेकभीदेखा, नआपकेदिलनेकभीधड़काया।चूंकियेउसकानिजीविचारथा, इसेसार्वजनिककरनाख़तरेसेख़ालीनहींथा।
विचारोंकायेपरस्परटकरावऔरऊहापोहअंशुलकोरात-रातभरजगाएरखती।उधर, किशोरऔरनम्रताअबजाकरचैनकीनींदसोपारहेथे।उन्हेंलगताथाकिज़िंदगीमेंउन्होंनेजोकुछकामकेफ़ैसलेकिए, उनमेंएकअंशुलकोकोटाभेजनेकाभीहै।उन्हेंयक़ीनथाकिपहले IIT काक़िलाध्वस्तहोगाऔरफिर IIM केमहलपरविजयपताकाफहराईजाएगी।बेटेकेसुखदभविष्यकीकल्पनाभरसेमां-बापकेचेहरेखिलउठतेथे।इतनेकिवोनींदमेंभीमुस्कुरातेनज़रआते।
अंशुलकीकरीब-करीबरोज़हीघरबातहुआकरतीथी।जोइतनेसधेशब्दोंमें, तयखांचोंकेभीतरसेहोकरगुज़रतीकिकुछवक़्तकेबादउसमेंसेसड़ांधउठनेलगी।
"औरबेटा, क्याहालहैं"
"ठीकहूं"
"कितनीबारकहाहै, एटीट्यूडबदलो, 'ठीक'नहीं, 'अच्छाहूं'कहाकरो, जैसाबोलोगे, वैसाफ़ीलकरोगे"
"औरइसबारकाटेस्टकैसारहा"
"अच्छारहा", दरअसल, इसदफ़ाउसे'ठीकरहा'हीकहनाचाहिएथा।
"हूं...बेटा, मेरीबातध्यानसेसुनो।हमतुम्हारेदुश्मननहींहै।तुम्हाराभलाचाहतेहैं।एकबार IIT क्रैककरलियातोसमझो...सबबदलजाएगा।फ़रीदाबादवालेरजतभैयानेफर्स्टअटेंप्टमेंनिकाललियाथाऔरआजदेखोवोकहांहैं।"
जबभीफ़रीदाबादवालीबबलीबुआकेबेटेरजतभैयाकाज़िक्रहोता, अंशुलकेज़ेहनमेंउनकेकमरेकीतस्वीरउभरआती।रजतभैयाकेकमरेकीदीवारपरएकगिटारटंगारहताथा।उसनेबचपनमेंकईदफ़ारजतभैयासेकुछबजानेकीगुज़ारिशकी।लेकिनहरबारभैयाकोईनकोईबहानाबनाकरटालदियाकरते।उसेबहुतबादमेंपतालगाकिएकदिनग़ुस्सेमेंआकरफूफाजीनेउसगिटारकीतारेंतोड़दीथीं।तबरजतभैयाशायदनाइंथमेंरहेहोंगे।एकाउस्टिकगिटारकीएकतारजोटूटनेसेबचगईथीवोरजतभैयानेख़ुदतोड़दी...ताकिफिरकभीकोईतार, घरमेंकिसीतकरारकीवजहनबनसके।उसकीएककविताअधूरीरहगईतोरजतभैयाकीकईधुनअधूरीरहगईं।लेकिनअंशुलइसवाकयेकोकभीरोज़घरहोनेवालीबातचीतकेबीचनहींलापाया।क्योंकि, वोअबबड़ाहोरहाथा।उसेसमझआरहाथाकियेअधूरापनहीज़िंदगीकाअसलसचहै।पापाका IIT मेंदाख़िलेकासपनाअधूरारहगयातोमांका MBA का।अबवोइनदोअधूरेसपनोंकावाहकथा।इनसपनोंकाबोझइतनाज़्यादाथाकिउसकीकमरटूटनेलगीथी, सांसउखड़रहीथीऔरक़दमआगेबढ़नेसेइनकारकररहेथे।
बावजूदइसकेवोख़ुदकोघसीटनेलगा।अपनेभीतरकीसारीताक़तकोइकट्ठाकरके, सारीनाराज़गियोंकोभुलाके, सारीहताशाओंकोकिनारेकरके, वोवाकईपूरीशिद्दतसेउससपनेकोसाकारकरनेकीकोशिशमेंलगगयाजोउसकानहोतेहुएभी, उसकीज़िंदगीकोड्राइवकररहाथा।
सपनोंकेसाथसबसेबड़ीदिक़्क़तयहीहै।जबवोअपनेनहींहोतेतोउन्हेंढोनेमेंबड़ीमुश्किलहोतीहै।वैज्ञानिकबतातेहैंजबआदमीचांदपेहोताहैतोउसकावज़नछहगुनाकमहोजाताहै।यूंकिसीनेबतायानहींपरअंशुलकोकईबारलगताकिकभीसपनोंकेवज़नपरगहरीरिसर्चहुईतोपतालगेगाकिदूसरोंकेसपनोंकावज़नअपनेसपनेकेमुकाबलेछहसौगुनाबढ़जाताहै।
अंशुलइंजीनियरिंगकेरेसकोर्सकावोघोड़ाथाजिसपरउसकेमां-बापयानीकिशोरऔरनम्रतानेबड़ादांवखेलाथालेकिनपैरोंमेंबंधेसपनोंकावज़नउसेतेज़दौड़नेसेरोकरहाथा।
कोटाकेजिसनामीइंस्टीट्यूटमेंवो IIT कीतैयारीकररहाथा, वहांउसकीपरफ़ॉरमेंसहरगुज़रतेटेस्टकेसाथबेहतरहोनेकीबजायबिगड़रहीथी।ऐसानहींकिवोमेहनतनहींकररहाथालेकिनकईबारमेहनतमनकीनहोतोसुकारथनहींहोती।टेस्टमेंख़राबस्कोरकामतलबअंशुलबख़ूबीसमझताथा।ऐसेहरपरफॉरमेंसकाअर्थथा- IIT सेदूरीमेंऔरइज़ाफ़ा।
घरसेफ़ोनअबभीआताथाऔरटेस्टकेसवालपरवोअबभी'ठीक-ठाक'कहनेकीबजाय'अच्छा'हीकहतारहा।ऐसाक्योंहोताहैकिजबसबसेज़्यादाचीख़नेकीज़रूरतहोतीहैतभीआवाज़घुटनमेंबदलजातीहै।उसेकितनाकुछकहनाथा।किशोरसे, नम्रतासे, कोचिंगइंस्टीट्यूटवालेमिश्रासरसे, दोस्तोंसे, रजतभैयासे, फ़रीदाबादवालेफूफाजीसेलेकिनसबकहींभीतरघुटरहाथा।शायदअंशुलसमझरहाथाकिअगरवोनाकामहोताहैतोयेनाकामीउसकीअकेलेकीनहींहै।येउसकेमां-बापकीभीहै।मिश्रासरऔरफूफाजीकीभी।इनलोगोंकेरवैयेसेबार-बारयहीलगताथाकिउसकेसाथकईज़िंदगियोंकाभविष्यदांवपरहै।वोइतनेसारेलोगोंकाभविष्यअंधेरेमेंधकेलनानहींचाहताथा।नइतनीनाकामियोंकाबोझउठानेलायकमज़बूतहीथा।
इनहालातमेंअंशुलकेमनकेभीतरझांककरउसकाएक्स-रेनिकालाजासकताहोतातोउसमेंज़रूरडर, निराशा, चिंताऔरशर्मिंदगीकीमोटीपरतेंदिखाईदेतीं।हरपरतएक-दूसरेपरचढ़ीहुई।टेस्टदरटेस्टउसेयेमहसूसहोनेलगाथाकिIIT केदरवाज़ेकमसेकमउसकेलिएतोनहींखुलनेवाले।
जबयेविचारअंदरतकपैवस्तहोगयातोएकाएकज़िंदगीकेसारेदरवाज़ेबंदहोगए।सपनेअचानकबहुतहल्केहोगए।रुईकेफाहेजैसे।कोईबोझबाक़ीनरहा।कोईहसरतज़िंदानरही।
दोदिनबादजबपुलिसनेजबरनदरवाज़ाखोलातोकमरेसेसड़ांधउठरहीथी।इससड़ांधमेंकिशोरऔरनम्रताकेशब्दोंकीसड़नभीशामिलथी।अंशुलकोईचिट्ठीछोड़गयाथा।इसचिट्ठीमें किसी कविता को पूरी करने की अधूरी सी कोशिश भी शामिल थी।
भीतरतकटूटचुकीनम्रतानेकुछदिनबादजबअंशुलकेबचपनकाबक्साखोलातोउसमेंसीपियोंभरेपेंसिलबॉक्स, पीलेपेपरकेडिज़ाइनरटुकड़ोंऔरबाक़ीअटरम-शटरमकेबीचसाढ़ेतीनकविताएंभीमिलीं।तीनपूरीऔरएकअधूरी-बिनाशीर्षककी:
मां, मैंअभीछोटाहूं
परईशानअवस्थीनहींहूं
स्मार्टहूंउससेबहुत
मां, मुझेरामशंकरनिकुंभनहींचाहिए
बसतूमुझेसिखातीरहना
जैसेबतायाथापिछलेट्यूज़डेतूने
किध्रुवतारेसेकैसेपतालगतीहैदिशा
औरचंदामामाकैसेबिनाडायटिंग
जबचाहेहोजातेहैंछोटे-बड़े
मां, आईलवयू
तूमेराध्रुवताराहै
तूभीतोबतादेतीहैमुझेदिशा
कभीखोजाऊंतो
मां, तू.........................
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