अमृत रंजन की ताज़ा कविताएं
स्कूल बॉय अमृत रंजनहिंदी का शायद सबसे कम उम्र का कवि है और वह अपनी इस जिम्मेदारी को समझता भी है. उसकी कविताओं में लगातार दार्शनिकता बढ़ रही है. जीवन-जगत को लेकर जो प्रश्नाकुलता थी उसकी जगह एक तरह का...
View Article'मेकिंग ए मर्डरर'के बहाने कुछ सवाल
'मेकिंग अ मर्डरर'डॉक्युमेंट्री सीरिज देखकर युवा पत्रकार-लेखक अमित मिश्र ने यह लेख लिखा है. अमेरिकी न्याय-व्यवस्था के ऊपर कई सवाल उठाता हुआ. अमित जी फिल्मों की गहरी समझ रखते हैं और एक पेशेवर की तरह...
View Articleगीताश्री की नायिकाएं बोल्ड हैं क्रूर नहीं
गीताश्रीकी कहानियों को पढ़े बिना समकालीन स्त्री विमर्श को समझना बहुत मुश्किल है. प्रचार-प्रसार, नारेबाजी से डोर उनकी कहानियां अपनी जमीन पर बहुत मजबूती से खड़ी दिखाई देती हैं. हाल में ही सामायिक प्रकाशन...
View Articleवंदना राग की कहानी 'स्टेला नौरिस और अपूर्व चौधुरी अभिनीत क्रिसमस कैरोल'
समकालीन स्त्री कथाकारों में वंदना रागसबसे अंडररेटेड लेखिका हैं. जबकि उनकी उनकी कहानियों की भाषा, कथ्य, इंटेंसिटी, शैली सब न सिर्फ अपने समकालीन कथाकारों से भिन्न है बल्कि उन्होंने हिंदी में स्त्री-लेखन...
View Articleमनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी 'रक्स की घाटी और शबे फितना'
समकालीन हिंदी-लेखिकाओं में मनीषा कुलश्रेष्ठको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अलग-अलग परिवेश को लेकर, स्त्री-मन के रहस्यों को लेकर उन्होंने कई यादगार कहानियां लिखी हैं. उमें स्त्री-लेखन का पारंपरिक...
View Articleगीताश्री की कहानी 'लकीरें'
गीताश्रीवय से वरिष्ठ हैं लेकिन उन्होंने कहानियां लिखना बहुत देर से शुरू किया. शुरू में ही कुछ ऐसी कहानियां लिख दीं कि 'बोल्डनेस'का विशेषण चिपक गया उनकी कहानियों के साथ. जबकि उनकी ज्यादातर कहानियां...
View Articleअनु सिंह चौधरी की कहानी 'नीला स्कार्फ'
स्त्री-लेखन की चर्चा में उन लेखिकाओं की चर्चा भी होनी चाहिए जिन्होंने स्त्री-लेखन के दशकों पुराने 'क्लीशे'को तोड़ा और स्त्री-लेखन की सर्वथा नई जमीन तैयार की. इस चर्चा में अनु सिंह चौधरीऔर उनकी कहानी...
View Articleहिमालय को लेकर हिमालयी चिंता का दस्तावेज़
बचपन में रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ी थी ‘मेरे नगपति मेरे विशाल/ साकार दिव्य गौरव विराट’. हिमालय पर थी. बचपन से हिमालय की मन में एक छवि रही है कि वह हमारा रक्षक है. वही हिमालय बार-बार कहर बनकर टूट...
View Article'रिमझिम'की समीक्षा की समीक्षा
कुछ दिनों पहले जाने-माने चित्रकार और लेखक अखिलेशने स्कूलों में पढ़ाई जा रही हिंदी को लेकर एक सुदीर्घ और सुचिंतित लेख लिखा था. उसका जवाब शिक्षाविद रविकांतने दिया है. यह बहस जारी रहेगी- मॉडरेटर...
View Articleअंकिता आनंद की बाल कविताएं
इस कविता आच्छादित समय में ध्यान आया कि बाल कविताओं की विधा में किसी तरह का नवोन्मेष नहीं दिखाई देता है. बाल कविताएं अखबारों और पत्रिकाओं में फिलर की तरह बनकर रह गई हैं. ऐसे में अंकिता आनंदकी इन कविताओं...
View Articleमगर जनता नहीं डरती मियाँ आँखें दिखाने से
युवा शायर त्रिपुरारि कुमार शर्माकी इन दो गज़लों की भूमिका में कुछ नहीं लिखना. ये आज के युवा आक्रोश का बयान हैं- मॉडरेटर ==============1. हुकूमत जुर्म ही करती रही है इक ज़माने सेमगर जनता नहीं डरती मियाँ...
View Articleइन लव विद 'आज़ादी मेरा ब्रांड'
व्यक्तिगत मतभेदों, वैचारिक विरोधों का असर अच्छी पुस्तकों पर नहीं पड़ना चाहिए, जानकी पुल ने सदा इस मानक का पालन किया है. अनुराधा सरोजकी किताब 'आजादी मेरा ब्रांड'ऐसी ही एक किताब है जिसको पढ़ते ही उसके ऊपर...
View Articleऋत्विक घटक का सिनेमा सदा प्रासंगिक रहेगा
40 साल पहले इसी महीने जीनियस फिल्मकार ऋत्विक घटकका देहांत हुआ था. आज उनकी शख्सियत को, उनके सिनेमा को याद करते हुए एक सुन्दर लेख सैयद एस. तौहीदने लिखा है- मॉडरेटर =================================सात...
View Articleपतनशील पत्नियों के नोट्स
नीलिमा चौहानने हाल के वर्षों में स्त्री-अधिकारों, स्त्री शक्ति से जुड़े विषयों को लेकर बहुत मुखर होकर लिखा है और अपनी एक बड़ी पहचान बनाई है. उनके लेखन में किसी तरह का ढोंग नहीं दिखता बल्कि एक तरह की गहरी...
View Articleआकांक्षा पारे की कहानी 'सखि साजन'
समकालीन लेखिकाओं की सीरिज में आज आकांक्षा पारेकी कहानी. उनकी कहानियां स्त्री लेखन के क्लीशे से पूरी तरह से मुक्त है. उनकी कहानियों में एक अन्तर्निहित व्यंग्यात्मकता है जो उनको अपनी पीढ़ी में सबसे अलग...
View Articleसौम्या बैजल की कविताएं
हिंदी के मठाधीश कविता की विविधता को सेंसर करते रहे, उसकी आवाजों को एकायामी बनाने की जिद करते रहे. लेकिन आज अच्छी बात यह है कि हिंदी कविता की हर आवाज सक्रिय है, दबावों से मुक्त है. ऐसी ही एक आवाज सौम्या...
View Articleपटना फिल्म फेस्टिवल 2016 : एक नई पटकथा लिखने की कोशिश
अभी कुछ दिन पहले ही पटना फिल्म फेस्टिवलसंपन्न हुआ. उसकी बेबाक समीक्षा की है सुशील कुमार भारद्वाज ने- मॉडरेटर ==============जहां एक तरफ बिहार विधान सभा चुनाव के बाद से राज्य की छवि अप्रत्याशित रूप से...
View Articleभावना शेखर की कविताएं
भावना शेखरहिंदी कविता में पटना की आवाज हैं. केंद्र में परिधि की आवाज. कविता के उन मुहावरों से मुक्त जिनके जैसा लिखने को ही कविता मानने की जिद दशकों तक हिंदी के आलोचकों ने ठान रखी थी. हिंदी कविता में अब...
View Articleकृष्ण कुमार का लेख 'विश्वविद्यालय का बीहड़'
इन दिनों विश्वविद्यालयों की स्वायत्तात का मुद्दा जेरे-बहस है. इसको लेकर एक विचारणीय लेख कृष्ण कुमारका पढ़ा 'रविवार डाइजेस्ट'नामक पत्रिका में. आपके लिए प्रस्तुत है-...
View Articleप्रकृति करगेती की कहानी 'प्यार का आकार'
बहुत सहज कहानी है, बिना किसी अतिरिक्त कथन के. हाँ, आप चाहें तो उसकी ओवररीडिंग कर सकते हैं. कहानी में यह स्पेस है- प्रकृति करगेतीकी यह कहानी पढ़ते हुए सबसे पहले यही बात ध्यान में आई. प्रकृति की कवितायेँ...
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