सिनेमा में करुण रस क्या होता है?
युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीरइन दिनों रस सिद्धांत के आधार पर विश्व सिनेमा के अध्ययन में लगे हैं. उनका यह लेख इस बात को लेकर है कि करुण रस दुनिया भर की फिल्मों में किस तरह अभिव्यक्त हुआ है. अंतर्पाठीयता का...
View Articleशीन काफ निजाम की ग़ज़लें
लोकमत समाचार के वार्षिक आयोजन 'दीप भव'में वैसे तो सभी रचनाएँ अपने आप में ख़ास हैं. लेकिन पहले शीन काफ निजामसाहब की ग़ज़लें पढ़िए, जो इस अंक की एक नायाब पेशकश है- मॉडरेटर 1. सफ़र में भी सहूलत चाहती है...
View Articleमहाकरोड़ फिल्मों की बोरियत से निकलना है तो देखिए 'जेड प्लस'
एक के बाद एक आती महाकरोड़ फ़िल्में मनोरंजन कम बोर अधिक करती हैं. ऐसे में ताजा हवा के झोंके की तरह है रामकुमार सिंह लिखित और चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित फिल्म 'जेड प्लस'. फिल्म की कहानी जानदार है और...
View Articleजेड प्लस इंटेलेक्चुअल फिल्म नहीं, इंटेलिजेंट फिल्म है!
यह शाम की रिव्यू है. जो सुबह से थोड़ी अलग है और कुछ कुछ उस जैसी भी है. जेड प्लस फिल्म ही ऐसी है कि हर लेखक का अपना अपना पाठ तैयार है. यह पाठ है प्रसिद्ध युवा लेखिका अनु सिंह चौधरीका. असल में करोड़ करोड़...
View Articleहिमालय न देखा हो तो 'दर्रा दर्रा हिमालय'पढ़ लीजिए
‘दर्रा दर्रा हिमालय’ऐसी किताब नहीं है जिसमें हिमालय की गोद में बसे हिल स्टेशनों की कहानी हो, जिसे पढ़ते हुए हम याद करें कि अरे नैनीताल के इस होटल में तो हम भी ठहरे थे, शिमला के रेस्तरां में बैठकर हमने...
View Articleमुस्कुराइए कि आपके आ गए दिन अच्छे
नीलिमा चौहानको हम सब भाषा आन्दोलन की एक मुखर आवाज के रूप में जानते-पहचानते रहे हैं. लेकिन उनके अंदर एक संवेदनशील कवि-मन भी है इस बात को हम कम जानते हैं. उनकी चार कविताएँ आज हम सब के लिए- मॉडरेटर...
View Articleभारत में शादी विषय पर 1500-2000 शब्दों में निबंध लिखें
आजकल शादियों का मौसम चल रहा है. कल बहुत अच्छा व्यंग्य मैंने बारातियों पर पढ़ा था. प्रसिद्ध व्यंग्यकार राजेंद्र धोड़पकर ने लिखा था. लेकिन शादी पर सदफ नाज़का यह व्यंग्य तो अल्टीमेट है. जितनी बार पढ़ा हँसने...
View Articleराजेश खन्ना की कामयाबी एक मिसाल है- सलीम खान
80 के दशक में जब हम बड़े हो रहे थे तो हमारे सामने सबसे बड़ा डाइलेमा था कि कपिल देव सबसे बड़े क्रिकेट खिलाड़ी हैं या सुनील गावस्कर. 70 के दशक में हमारे मामाओं-चाचाओं के लिए डाइलेमा दूसरा था- राजेश खन्ना या...
View Articleजनवादी लेखक संघ और वाम लेखकों के बीच एक रोचक और गंभीर बहस!
पता नहीं आप लोगों का इसके ऊपर ध्यान गया कि नहीं वाम विचारक श्री अरुण महेश्वरी ने जनवादी लेखक संघ के नेतृत्व के नाम एक खुला पत्र अपने फेसबुक वाल पर जारी किया. उसके बाद जनवादी लेखक संघ के उप-महासचिव...
View Article'बनारस टॉकीज'का एक ट्रेलर
हिन्द युग्म प्रकाशन ने हिंदी में अलग ढंग की किताबें छापकर एक नई शुरुआत की. लेखकों और पाठकों के बीच के खोये हुए रिश्तों को जोड़ने का उनका प्रयास सफल रहा. इस प्रकाशन की अगली किताब है 'बनारस टॉकीज'. लेखक...
View Articleसौ साल बाद 'उसने कहा था'
'उसने कहा था'कहानी के सौ साल पूरे होने वाले हैं. इसके महत्व को रेखांकित करते हुए युवा लेखक मनोज कुमार पाण्डेयने एक बहुत अच्छा लेख लिखा है. मैं तो पढ़ चुका आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन...
View Article'उसने कहा था'की सूबेदारनी और मैत्रयी पुष्पा की कलम
'उसने कहा था'कहानी अगले साल सौ साल की हो जाएगी. इस सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए कल हमने युवा लेखक मनोज कुमार पाण्डे का लेख प्रस्तुत किया था. आज प्रसिद्ध लेखिका मैत्रेयी पुष्पाका यह लेख. जो यह सवाल...
View Articleविमल राय की फिल्म 'उसने कहा था'
चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था'पर विमल राय ने एक फिल्म का निर्माण किया था. हालाँकि निर्देशन उन्होंने खुद नहीं किया था. फिल्म के लिहाज से कहानी में काफी बदलाव किया गया था. उस फिल्म पर आज...
View Articleहम खड़ी बोली वाले हर बात के विरोध में खड़े रहते हैं!
हिंदी के एक वरिष्ठ लेखक, एक ज़माने में मैं जिनका दूत होता था, भूत होता था, ने एक बड़ी मार्के की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि जानते हो हिंदी भाषा खड़ी बोली से बनी है, और इसलिए हर बात पर विरोध में खड़े हो...
View Articleकल 'रवीशपन्ती'का लोकार्पण है!
लोग यह कहते हैं कि हिंदी की लिखत-पढ़त की दुनिया में दशकों से कुछ नहीं बदला- न भाषा बदली, न मुहावरा बदला, न वह संवेदना, जो आजादी के पहले से इसकी रूह से चिपक गई थी. गाँव बनाम शहर. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना...
View Articleरायपुर का रायचंद
मेरे प्रिय व्यंग्यकार-कवि अशोक चक्रधरने रायपुर साहित्योत्सव से लौटकर अपने प्रसिद्ध स्तम्भ 'चौं रे चम्पू'में इस बार उसी आयोजन पर लिखा है. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन...
View Articleदूसरा शैलप्रिया स्मृति पुरस्कार: एक रपट
यह हम हिंदी वालों का लगता है स्वभाव बन गया है- जो अच्छा होता है उसकी ओर हमारा ध्यान कम जाता है. रांची में 'शैलप्रिया स्मृति पुरस्कार'ऐसी ही एक बेहतर शुरुआत है. इस गरिमामयी सम्मान का यह दूसरा आयोजन था,...
View Articleशैलप्रिया से नीलेश रघुवंशी तक
पिछले इतवार को रांची में शैलप्रिया स्मृति सम्मान का आयोजन हुआ था. इस आयोजन पर कल बहुत अच्छी रपट हमने प्रस्तुत की थी, कलावंती जी ने लिखा था. आज उस आयोजन के मौके पर 'समकालीन महिला लेखन का बदलता...
View Articleमैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं हिंदी मुस्कुराती है
आज हिंदी के दुःख को उर्दू ने कम कर दिया- कल साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा के बाद किसी मित्र ने कहा. मेरे जैसे हजारों-हजार हिंदी वाले हैं जो मुनव्वर राना को अपने अधिक करीब पाते हैं. हिंदी उर्दू का...
View Articleवतन ऐसे रहेगा कब तलक आबाद मौलाना
दिलीप कुमार के पेशावर को याद रखने का एक दूसरा दर्दनाक सिलसिला बन गया. दोनों मुल्कों के इतिहास का सबसे काला दिन बन गया 16 दिसंबर 2014. दो ग़ज़लें मशहूर गजलगो सुशील सिद्धार्थने उस घटना को याद करते हुए लिखी...
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